बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाईयां: राऊत की याचिका पर चुनाव आयोग का हलफनामा, अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर को राहत नहीं, अवैध खनन पर भी नोटिस

राऊत की याचिका पर चुनाव आयोग का हलफनामा, अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर को राहत नहीं, अवैध खनन पर भी नोटिस
  • याचिका में भाजपा नेता नारायण राणे के सांसद निर्वाचन को दी गई है चुनौती
  • बॉम्बे हाई कोर्ट से इमारत में 4 मंजिल अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर को नहीं मिली राहत
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने ठाणे के अंबरनाथ वन क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन को लेकर जिला अधिकारी और तहसीलदार को जारी किया नोटिस

डिजिटल डेस्क, मुंबई. शिवसेना (उद्धव गुट) के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे विनायक राउत की याचिका पर चुनाव आयोग ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में राउत के दावे का खंडन किया है। राउत की याचिका में दावा किया गया है कि राणे और प्रचार करने वाले उनके बेटे नितेश राणे ने आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन किया है। याचिका में सिंधुदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से 18वीं लोकसभा के लिए राखे के निर्वाचन को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की एकल पीठ के समक्ष विनायक राउत की ओर से वकील असीम सरोदे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में सिंधुदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से राणे के सांसद निर्वाचन पर रोक लगाने और नया निर्वाचन कराने का अनुरोध किया गया है। राणे के वकील ने गुरुवार को हलफनामा दाखिल करने के लिए समय की मांग की। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर को रखी है। लोकसभा चुनाव में राणे को 448514 वोटों के साथ निर्वाचित घोषित किया गया। जबकि राउत को 400656 वोट मिले थे। आरोप है कि सिंधुदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव 7 मई को हुए थे, लेकिन राणे, उनके बेटे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने भाषण जारी रखें और मतदाताओं को लुभाने के लिए 'उपहार' बांटे। यह न केवल राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की, बल्कि चुनाव अधिकारियों की भी जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि किसी भी कीमत पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन न हो।

बॉम्बे हाई कोर्ट से इमारत में 4 मंजिल अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर को नहीं मिली राहत

उधर खार(प.) की इमारत में 4 मंजिल अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली। अदालत ने इमारत के अवैध निर्माण को तोड़ने की मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की नोटिस को न केवल रद्द करने से इनकार कर दिया, बल्कि बिल्डर को 50 हजार रुपए का दंड भी लगाया है। अदालत ने दंड की राशि को बीएमसी को देने का निर्देश दिया है। बीएमसी ने खार(प.) के डॉ.आंबेडकर रोड स्थित शिवांजलि सहकारी एचएसजी सोसायटी के 4 से 8 मंजिल तक बिना अनुमति निर्माण करने के खिलाफ 12 सितंबर 2017 को कारण बताओ नोटिस भेजा। उसके बाद बीएमसी द्वारा 12 जून 2018 को इमारत के खिलाफ तोड़क कार्रवाई करने की नोटिस भेजी गई। बिल्डर रफीक रहमतुल्लाह कबानी ने बीएमसी की नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति एम.एस.सोनक और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ के समक्ष रफीक कबानी की याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि कानून और नियमों की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए बिल्डरों और डेवलपर्स ने चौथी से आठवीं मंजिल का निर्माण किया। उन्होंने इसको लेकर अदालत को भी गुमराह किया। इसलिए उनकी याचिका न केवल खारिज की जाती है, बल्कि उन पर 50 हजार रुपए का दंड लगाया जाता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने ठाणे के अंबरनाथ वन क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन को लेकर जिला अधिकारी और तहसीलदार को जारी किया नोटिस

इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को ठाणे के अंबरनाथ वन क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन को काफी गंभीर से लिया है। अदालत ने इसको लेकर ठाणे जिलाधिकारी और अंबरनाथ के तहसीलदार को नोटिस जारी करते हुए उन्हें हलफनाम दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि अंबरनाथ वन क्षेत्र में विस्फोटकों का इस्तेमाल के जरिए पहाड़ों पर विस्फोट कर अंधाधुंध पत्थरों का अवैध खनन हो रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंच रही है। उसके आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम होने का खतरा है। अदालत ने 16 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई रखी है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष नंदकुमार बावन पवार की ओर से वकील जमन अली की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील जमन अली ने दलील दी कि खनन का पट्टा लेने वाले लोग खदान पट्टे के तहत स्वीकृत पट्टा क्षेत्र से अधिक अवैध और गैरकानूनी तरीके से खनन की गतिविधि को अंजाम दिया जा रहा है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से माथेरान इको-सेंसिटिव जोन के कारण प्रतिबंधित क्षेत्र के अंतर्गत भी आता है। याचिकाकर्ता ने अवैध खनन के खिलाफ ठाणे जिलाधिकारी और अंबरनाथ के तहसीलदार से कोई शिकायतें की गई, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अदालत से अनुरोध है कि अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश जारी किया जाए। अंबरनाथ के चिंचवली गांव के पास अनुमत दिए गए क्षेत्र से दोगुने से अधिक क्षेत्र में अत्यधिक पत्थरों खनन करके माथेरान के इको सेंसिटिव ज़ोन (ईएसजेड) के प्राचीन वन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस पर तत्काल रोक लगाया जाना चाहिए। अदालत ने याचिका में ठाणे जिलाधिकारी और अंबरनाथ के तहसीलदार के अलावा पार्टी बनाए गए राज्य के भूविज्ञान और खनन निदेशालय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्व और वन विभाग, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया है।

Created On :   12 Sept 2024 9:55 PM IST

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