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Mumbai News: एकनाथ शिंदे को 2019 में मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे उद्धव ठाकरे - संजय राऊत

- आघाडी में जूनियर होने के चलते नहीं बना सके थे सीएम
- उद्धव मुख्यमंत्री नहीं बनते तो नहीं टूटती शिवसेना- एकनाथ शिंदे
Mumbai News. शिवसेना (उद्धव) सांसद एवं प्रवक्ता संजय राऊत ने राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं शिवसेना (शिंदे) प्रमुख एकनाथ शिंदे को लेकर बड़ा दावा किया है। राऊत ने बुधवार को कहा कि साल 2019 में जब भाजपा के साथ शिवसेना (अविभाजित) की सरकार नहीं बन पाई थी तो उस समय महाविकास आघाडी के साथ सरकार बनाने के लिए शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की इच्छा जताई थी। हालांकि महाआघाडी में मौजूद वरिष्ठ नेताओं के दबाव के चलते और शिंदे के जूनियर नेता होने के चलते ऐसा नहीं हो पाया। राऊत ने कहा कि ठाकरे को सत्ता का लालची बताने वालों को बालासाहेब ठाकरे का कार्यकाल याद रखना चाहिए। वहीं एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर दोहराया है कि साल 2019 में अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं बनते तो शिवसेना में कभी टूट नहीं पड़ती। संजय राऊत ने उपमुख्यमंत्री शिंदे के उस बयान पर पलटवार करते हुए कहा, जिसमें शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर मुख्यमंत्री किसी शिवसैनिक को नहीं बल्कि स्वयं बन जाने को लेकर लगाए थे। राऊत ने कहा कि ठाकरे परिवार कभी भी सत्ता का भूखा नहीं रहा है। दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने भी नारायण राणे और मनोहर जोशी जैसे शिवसैनिकों को मुख्यमंत्री बनाया। राऊत ने साल 2019 का एक वाकया दोहराते हुए कहा कि जब उस समय भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन टूट गया था तो हमने महाविकास आघाडी के दलों कांग्रेस और राकांपा (अविभाजित) के साथ सरकार बनाने की पहल की थी। उन्होंने कहा कि इस दौरान ठाकरे ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में यह प्रस्ताव रखा था कि एकनाथ शिंदे को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाए। राऊत ने यह भी कहा कि उन्होंने शिंदे के नाम का प्रस्ताव कांग्रेस और राकांपा के नेताओं के समक्ष रखा, लेकिन दोनों ही पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने उस समय जूनियर रहे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में काम करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ठाकरे ने खुद मुख्यमंत्री बनने का फैसला किया।
उद्धव मुख्यमंत्री नहीं बनते तो नहीं टूटती शिवसेना- एकनाथ शिंदे
राज्य के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना (शिंदे) प्रमुख एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर साल 2019 में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं बनते तो शिवसेना कभी नहीं टूटती। शिंदे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने हमेशा शिवसैनिकों का सम्मान किया था, लेकिन उनके बाद पार्टी में शिवसैनिकों की कोई अहमियत नहीं रही। यहां तक की हिंदुत्व को लेकर हमेशा बुलंद रही शिवसेना ने जब कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिलाकर सरकार बनाई तो राज्य के ज्यादातर नेता इसके खिलाफ थे। इसका नतीजा यह हुआ कि साल 2022 में हमने हिंदुत्व का साथ नहीं देने वालों को ही छोड़ दिया।
Created On :   19 Feb 2025 9:59 PM IST