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बॉम्बे हाईकोर्ट: कांग्रेस पार्टी के विधायक रवींद्र धंगेकर ने विधानसभा क्षेत्र के आवंटित राशि को लेकर दायर की याचिका
- विधायक रवींद्र धंगेकर पहुंचे हाईकोर्ट
- धंगेकर पुणे के कस्बा पेठ विधानसभा क्षेत्र से विधायक
- कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं रवींद्र धंगेकर
- याचिका में कस्बा पेठ क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए निकाली गई निविदाओं को दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में ले जाने का दावा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुणे के कस्बा पेठ क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के विधायक रवींद्र धंगेकर ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर किया है। याचिका में उनके कस्बा पेठ विधानसभा क्षेत्र के लिए आवंटित राशि को सत्ताधारी पार्टी के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में ले जाने का दावा किया है। धांगेकर का आरोप है कि उनके विधानसभा क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए 100 से अधिक निविदाओं को भी दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में ले जाया जा रहा है। अदालत ने विधायक को अपनी याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में बदलने की सलाह दी, क्योंकि विकास कार्यों से उनके निर्वाचन क्षेत्र के सभी मतदाता प्रभावित होंगे।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आसिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को विधायक रवींद्र धांगेकर की ओर से वकील कपिल राठोर ने याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के वकील राठोर ने विकास परियोजनाओं के लिए आसन्न निविदा पुरस्कारों की तात्कालिकता का हवाला देते हुए अदालत में दलील दी कि उनके निर्वाचन क्षेत्र का विकास विभिन्न परियोजनाओं के लिए आवंटित निविदाओं पर केंद्रित है। कस्बा पेठ विधानसभा क्षेत्र के लिए निश्चित धनराशि को सत्तारूढ़ दल के विधायकों से संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में ले जाया जा रहा था। इस साल ही कस्बा पेठ उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर धंगेकर ने चुनाव जीते।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि रिट याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में बदलने पर विचार करें, क्योंकि मामला व्यक्तिगत शिकायतों से परे है। अदालत ने जोर देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का कोष नहीं है, बल्कि एक विधायक का कोष है। राठोड ने अदालत में कहा कि इस मुद्दे में वह धनराशि शामिल है, जो याचिकाकर्ता के निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए थी। उन्होंने उल्लेख किया कि लगभग 100 निविदाएं जारी की गई थीं, लेकिन अन्य निर्वाचन क्षेत्रों को दे दी गईं। शुरुआती आवंटन के आधार पर काम पहले ही शुरू हो चुका था, लेकिन अब उनका दावा है कि बजट खत्म हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता के निर्वाचन क्षेत्र के धन का बंदरबांट हो गया है। उन्होंने मामले की तात्कालिकता पर जोर दिया और कहा कि टेंडर का काम रुका हुआ है।
अदालत ने राठोड को अदालत को राजनीतिक मंच बनाने के बजाय संबोधित करते समय उचित और कानूनी व्यवहार बनाए रखने की भी सलाह दी। राठोड ने भाषा की बाधा का हवाला देते हुए और अपनी पृष्ठभूमि बताते हुए माफी मांगी। मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने अदालत में अनावश्यक राजनीतिक लड़ाई से बचने के लिए कानूनी और राजनीतिक मामलों के बीच स्पष्ट अंतर को प्रोत्साहित किया।
Created On :   31 Oct 2023 9:05 PM IST