रणनीति: वर्ली में आदित्य ठाकरे को घेरने के लिए सीएम शिंदे और राज ठाकरे ने बनाई योजना

वर्ली में आदित्य ठाकरे को घेरने के लिए सीएम शिंदे और राज ठाकरे ने बनाई योजना
  • मराठी वोट का बंटवारा रोकने शिंदे गुट उतार सकता है गुजराती उम्मीदवार
  • वर्ली में आदित्य ठाकरे को घेरने नया फार्मुला
  • विपक्ष की लामबंदी से आदित्य बदल सकते हैं सीट

डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। दोनों ही गठबंधनों के सभी दल चुनाव प्रचार की जल्द ही शुरुआत करने वाले हैं। इसके अलावा दोनों ही गठबंधनों के दलों ने एक दूसरे के बड़े नेताओं के खिलाफ भी योजना बना ली है। शिवसेना (शिंदे) ने वर्ली से मौजूदा उद्धव गुट के विधायक आदित्य ठाकरे को घेरने के लिए मास्टर प्लान बनाया है। तीन दिन पहले ही शिंदे गुट ने वर्ली में आदित्य ठाकरे को चुनौती देने के लिए राज्य की बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष और पार्टी नेता सुशीबेन शाह को प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी है। सूत्रों का कहना है कि शिंदे गुट वर्ली से सुशीबेन को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है। खबर है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने भी वर्ली से आगामी चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में आगामी चुनाव में आदित्य के लिए राह आसान नहीं होने वाली है। आदित्य ठाकरे उद्धव गुट के बड़े नेता हैं और उन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव 67 हजार से भी ज्यादा मतों से जीता था। लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में वर्ली विधानसभा सीट पर उद्धव गुट के पक्ष में लीड घटकर करीब 6 हजार रह गई थी। अब यही आंकड़े इस सीट पर विधानसभा चुनाव में आदित्य ठाकरे को चुनौती पेश कर सकते हैं। वहीं शिंदे गुट ने भी इस सीट से अपनी चुनावी तैयारी का ऐलान कर आदित्य को मुश्किल में डाल दिया है। इस सीट से शिंदे गुट ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुशीबेन शाह को प्रभारी बनाया है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिंदे ने सुशीबेन को इस विधानसभा सीट से चुनाव की तैयारी में जुट जाने को कह दिया है। उधर मनसे ने भी इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। वर्ली से चुनाव लड़ने के सवाल पर सुशीबेन ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष एकनाथ शिंदे अगर उन्हें वर्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरने के लिए कहेंगे तो वह अपने नेता के आदेश का जरूर पालन करेंगी। सुशीबेन ने कहा कि उन्हें पार्टी ने वैसे भी इस विधानसभा क्षेत्र की बड़ी जिम्मेदारी दी है। मराठी और गुजराती उम्मीदवार के होने से वर्ली सीट से आगामी विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो सकता है।

विपक्ष की लामबंदी से आदित्य बदल सकते हैं सीट

आदित्य ठाकरे के खिलाफ विपक्ष की लामबंदी ने आदित्य ठाकरे को वर्ली विधानसभा सीट पर दोबारा चुनाव लड़ने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि आदित्य ठाकरे वर्ली सीट को छोड़कर बांद्रा पूर्व से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। दरअसल बीते लोकसभा चुनाव में वर्ली विधानसभा क्षेत्र में उद्धव के सांसद अरविंद सावंत की जीत का आंकड़ा ज्यादा बड़ा नहीं था। इसलिए आदित्य ठाकरे ने इस सीट को छोड़ने पर विचार करना शुरू कर दिया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर इस सीट से मनसे और उद्धव गुट मराठी उम्मीदवार उतारते हैं और उधर शिंदे गुजराती उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारता है तो इससे मराठी वोटो का बंटवारा नहीं होगा। ऐसे में आदित्य के लिए चुनाव में मुश्किलें आ सकती हैं।

क्या कहता है वर्ली का चुनावी गणित

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में आदित्य ठाकरे ने वर्ली से 67 हजार 427 वोटों से चुनाव जीता था। उस चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। जबकि मनसे ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। यही कारण रहा कि आदित्य को इस विधानसभा चुनाव में 89 हजार 248 वोट मिले थे। जबकि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे ने अकेले चुनाव लड़ा था, इसलिए इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील राणे को 30 हजार 849 और राकांपा (अविभाजित) को 37 हजार 613 वोट मिले थे। जबकि उद्धव के उम्मीदवार को 60 हजार 625 वोट मिले थे। ऐसे में अगर भाजपा और शिंदे गुट ने आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा तो आगामी चुनाव में तस्वीर अलग देखने को मिल सकती है। वैसे इस क्षेत्र में मनसे का भी बड़ा वोट बैंक है। साल 2009 के विधानसभा चुनाव में मनसे के उम्मीदवार ने 32 हजार से ज्यादा वोट मिले थे।

Created On :   11 Aug 2024 10:10 PM IST

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