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कैंसर: कम डोज, ज्यादा कारगर , कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट पर नियंत्रण में सफलता
- उपचार के बाद कैंसर मरीजों की उल्टी और सुस्ती की दिक्कत दूर करने में कामयाबी
- स्टेराइड की खुराक भी हुई कम
- 267 मरीजों पर किया गया परीक्षण
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कीमोथेरेपी कैंसर के सेल को खत्म करने की कारगर उपचार पद्धति है। लेकिन इस थेरेपी का लाभ लेने के लिए मरीजों को इसके साइड इफेक्ट को झेलना पड़ता है। जिसमें उल्टी, सुस्ती जैसी तकलीफें शामिल हैं। इसको लेकर टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने कीमोथेरेपी की डोज को नियंत्रित करके साइड इफेक्ट पर नियंत्रण पाया है। इससे इलाज किफायती भी हो जाएगी।
कीमोथेरेपी लेनेवालो मरीजों को डॉक्टर 10 मिलीग्राम ओलांजीपाइन की दवाई के साथ तीन अन्य दवाइयां देते हैं। टाटा मेमोरियल अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. ज्योति बाजपाई ने बताया कि इस दवा के सेवन से उल्टियां तो नियंत्रित हो जाती थीं, लेकिन इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह था कि इस दवा के सेवन से मरीज 3 से 4 दिनों तक सुस्त रहता था। जिससे मरीजों की दिनचर्या प्रभावित हो रही थी। इसी दुष्प्रभाव को कम करने में डॉक्टरों को बड़ी सफलता मिली है। डॉक्टरों ने 10 मिलीग्राम की दवाई की डोज को कम करके सफलता पाई है। यह सफल अध्ययन 12 जनवरी को द लांसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
267 मरीजों पर किया गया परीक्षण : डॉ. ज्योति ने बताया कि दवाई की डोज को कम करने के लिए तीन चरणों में यह परीक्षण किया गया है। यह परीक्षण 13 से 75 साल के 267 मरीजों पर किया गया। यह सभी मरीज ठोस ट्यूमर के लिए एंथ्रा सायकलिन या उच्च खुराक की सिसप्लाटिन आधारित कीमोथेरेपी ले रहे थे।
मरीजों को दो समूह बांटा गया : टाटा मेमोरियल अस्पताल के अकादमिक डीन डॉ. श्रीपद बनावली ने बताया कि इस अध्ययन के लिए 267 मरीजों को दो समूह में बांटा गया। यह अध्ययन 9 फरवरी 2021 और 30 मई 2023 के बीच किया गया है। इस अध्ययन में 94 फीसदी महिला रोगी शामिल थीं। अध्ययन में शामिल रोगियों में से 91 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर की मरीज हैं। 132 मरीजों को 2.5 मिलीग्राम के ओलांजीपाइन दवाई का डोज दिया गया था और 135 मरीजों को 10 मिलीग्राम ओलांजीपाइन दवाई का डोज दिया गया था।
स्टेरॉइड का भी इस्तेमाल हुआ कम डॉक्टर के मुताबिक इस अध्ययन में एक खास बात यह भी रही कि कम डोज की दवाई के कारण स्टेरॉइड की डोज भी कम देनी पड़ी थी। हालांकि अध्ययन कर्ता डॉक्टरों का कहना है कि इस पर अभी और अध्ययन करने की जरूरत है। इस अध्ययन की सफलता से कीमोथेरेपी का उपचार कुछ किफायती हो सकता है।
Created On :   13 Jan 2024 7:39 PM IST