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सुनवाई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा - शादी का रिसेप्शन रस्म का हिस्सा नहीं हो सकता है
- अदालत ने बांद्रा फैमिली कोर्ट के खिलाफ महिला की दलील को किया स्वीकार
- शादी का रिसेप्शन शादी की रस्म का हिस्सा नहीं हो सकता है
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि शादी का रिसेप्शन शादी की रस्म का हिस्सा नहीं हो सकता है। 2015 में मुंबई में आयोजित याचिकाकर्ता की शादी का रिसेप्शन पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवादों का फैसला करने का बांद्रा फैमिली कोर्ट को अधिकार नहीं देता है। न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की एकल पीठ के समक्ष 38 वर्षीय महिला की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया कि याचिकाकर्ता की शादी जून 2015 में राजस्थान के जोधपुर में हिंदू रीति-रिवाजों से हुई। उनकी शादी के 4 दिन बाद मुंबई में वेडिंग रिसेप्शन हुआ था और उसके 10 दिन बाद वे (नव विवाहित दंपत्ति) अमेरिका चले गए। ऐसे में उनके पति की तलाक याचिका पर सुनवाई बांद्रा फैमिली कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं हो सकती है। याचिकाकर्ता ने अमेरिका में तलाक के लिए याचिका दायर किया है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए अपने फैसले में कहा कि मेरे विचार से इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है कि शादी का रिसेप्शन शादी की रस्म का हिस्सा नहीं हो सकता है। पीठ ने पति के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि शहर को वह स्थान माना जाना चाहिए, जहां वे आखिरी बार एक साथ रहे थे, क्योंकि महिला का वैवाहिक घर मुंबई में था।
अगस्त 2020 में पति ने क्रूरता के आधार पर बांद्रा फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी। इसके चार महीने बाद उनकी पत्नी ने भी अमेरिका में एक अलग से तलाक की कार्यवाही शुरू की। साथ ही पत्नी अगस्त 2021 में बांद्रा फैमिली कोर्ट के समक्ष भी एक याचिका दायर की, जिसमें अपने अलग हो रहे पति की तलाक याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि मुंबई अदालत के पास हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 19 के तहत तलाक याचिका पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। उनका पति उस अदालत में तलाक की याचिका प्रस्तुत कर सकता है, जिसके अधिकार क्षेत्र में विवाह संपन्न हुआ था और प्रतिवादी याचिका की प्रस्तुति के समय जहां उनके साथ (याचिकाकर्ता) निवास कर रहा था।
Created On :   16 April 2024 9:01 PM IST