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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी के उपाध्यक्ष के खिलाफ दर्ज एफआईआर को किया रद्द
- बीमा कंपनी के उपाध्यक्ष के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द
- बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली राहत
- याचिकाकर्ता को परेशान करने के उद्देश्य से दर्ज कराई गई थी एफआईआर
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीमा कंपनी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के उपाध्यक्ष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (ए) और 509 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। अदालत ने मामले के तथ्यों के अध्ययन में पाया कि याचिकाकर्ता को परेशान करने के उद्देश्य से एफआईआर कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने एफआईआर दर्ज कराते समय महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया था।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे की खंडपीठ के समक्ष मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के उपाध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वकील संजय कुमार और सरकारी वकील अजय पाटिल पेश हुए थे। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड देखने से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज की गई एफआईआर उन तथ्यों को छुपाया गया, जो रिकॉर्ड में हैं। हमारे अनुसार दुर्भावना से दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता का इरादा केवल याचिकाकर्ता को परेशान करना था।
अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ तीन महीने की देरी के बाद शिकायत दर्ज कराई थी। उसने महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा नहीं किया था। हमारा विचार है कि शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में आगे की जांच जारी रखना सरासर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। इसलिए इसे रद्द करने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में उसके खिलाफ बोरीवली पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 354(ए) और 509 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। बीमा कंपनी में केंद्रीय प्रबंधक के रूप में कार्यरत शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता कंपनी के उपाध्यक्ष ने अनुचित टिप्पणियां की और उसके प्रति आक्रामक व्यवहार किया। यह घटना कार्यालय में एक बैठक के दौरान घटी, जब याचिकाकर्ता ने उसे घूर कर देखा, आपत्तिजनक टिप्पणी की, उसकी नेम प्लेट फाड़ दी और उसे जान से मारने की धमकी दी।
खंडपीठ ने पाया कि शिकायतकर्ता ने इस तथ्य को छुपाया है कि मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने 30 मई 2016 को उसके और उसके पिता द्वारा 11 अगस्त 2016 को दर्ज की गई शिकायतों का संज्ञान लिया था और उसकी जांच की थी। शिकायतकर्ता ने 18 जुलाई 2016 को बोरीवली पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराने के दौरान पूर्व के तथ्य का भी खुलासा नहीं किया था।
Created On :   14 Aug 2023 8:36 PM IST