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Mumbai News: बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक फिल्में देने वाला आरके स्टूडियो काश ना बिकता!
- काश ऐसे होता कि आरके स्टूडियो अपने सौ साल पूरे कर पाता
- स्टूडियो ना बिकता तो अच्छा होता
- लेखक सचिन्द्र शर्मा ने बताया अपना अनुभव
Mumbai News : बॉलीवुड फिल्म लेखक और निर्देशक सचिन्द्र शर्मा ने राज कपूर को याद करते कहा कि काश आरके स्टूडियो ना बिकता। सचिन्द्र शर्मा ने एक कहावत का जिक्र करते कहा कि कोई भी मकान किसी खानदान के मालिक को सौ बरस से ऊपर नहीं रखता, या तो मालिक बदल जातें है या फिर उस मकान का स्वरुप बदल जाता है, लेकिन काश ऐसे होता कि आरके स्टूडियो अपने सौ साल पूरे कर पाता। स्टूडियो ना बिकता तो अच्छा होता। राज साहब का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कपूर खानदान के सदस्यों को बुलाया और उनसे मुलाक़ात की थी. जहां राज कपूर का परिवार तो था, लेकिन शम्मी कपूर और शशि कपूर के परिवार का कोई सदस्य नहीं था। खैर ये पारिवारिक मसला है, शर्मा ने कहा कि मैं जब सिर्फ 10 वर्ष का था, तो सिनेमा मुझे बहुत आकर्षित करता था। मैं पर्दे पर नाचते गाते कलाकारों देख कर सोचता था कि काश मै भी इसका हिस्सा बनता। एक दिन मेरा सपना पूरा हुआ मुझे फ़िल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनने का मौका मिला।
2 जून 1988 का वो दिन, जब राज कपूर साहब ने अंतिम सांस ली। मुझे याद है घर के आंगन में नहा रहा था। सामने बरामदे में ब्लैक एंड वाईट शटर वाली टीवी पर जब या खबर आई तो न्यूज़ देखने लगा। फिर रात की खबरों का इंतज़ार करते रहा, बुलेटिन शुरु हुई, जैसे ही राज कपूर से जुड़ी खबर आमने आई तो चेम्बूर में लोगों का हजूम और फ़िल्मी सितारों की लंबी कतारें, आरके स्टूडियो का गेट और कोने में राज कपूर और नरगिश की मनमोहक प्रतिमा का नजारा जहन में काफी देर तक घूमता रहा।
आपको बतादें लेखक सचिन्द्र शर्मा मुख्य रूप से हिंदी फिल्म उद्योग में काम करते हैं। लेखक-निर्देशक के रूप में उल्लेखनीय फिल्म क्रेडिट में माय फ्रेंड गणेशा चार भाग में लिखी है। इसके अलावा कालीचरण, बॉर्डर हिंदुस्तान का, शबनम मौसी.. काबू, धमकी, मिस अनारा, माय हस्बेंड वाइफ, सांवरिया खाटू के श्याम, सत्या साईं बाबा जैसी फिल्मों को मुकम्मल किया है।
इसके बाद जब 91 में अपनी किस्मत आजमाने माना नगरी आया तो 19 नवंबर 1991 को पहली बार आरके स्टूडियो शूट के लिए पहुंचा। 10 मिनट तक बाहर खड़ा देखता रहा कि जिस स्टूडियो को कभी टीवी पर देखा था, वहां खुद खड़ा हूं। जैसे लोग मंदिर मे नारियल फोड़ते हैं, मैने स्टूडियो के दरवाजे पर नारियल फोड़ा और अंदर कदम रखा। राजकपूर साहब के मंदिर में फ़िल्म कायदा क़ानून के लिए कोर्ट का सीन शूट किया था। अक्षय कुमार और कादर खान उस शॉट्स के किरदार थे, मैं प्रोडक्शन देख रहा था, तो ऑफिस भी जाने का मौका मिला। जहां एक तरफ राज कपूर का केबिन था, वहां रणधीर कपूर बैठा करते थे, लेकिन उस दिन कमरा बंद था, इसके बाद तो आना जाना लगा रहा। मैंने कलाकारों का काम संभालता था। फिल्म प्रेम ग्रंथ के लिए हिमानी शिवपुरी को एक दमदार भूमिका के लिए बुलाया गया। पहले ये रोल अरुणा ईरानी कर रही थीं, लेकिन कुछ कारण वश नहीं कर पाईं।
जब मैं हिमानी के साथ गया तो राजीव कपूर ने भूमिका सुनाई। उनके स्टॉफ के एक शख्स आया और मुझे कहा रणधीर जी बुला रहे है। मैं सीधे केबिन में गया, सामने डब्बू जी बैथे थे, उन्होंने मुझसे तुरंत नाम पूछा, नाम बताने के बाद मैं चुपचाप सामने की चेयर पर बैठ गया। हिमानी ने एक लिफाफा मेरे हाथ दिया। बाहर आकर देखा तो चेक और कैश था। जितना पैसा सोचा था, उतना साईंनिंग अमाउंट मिला।
एक बार स्टूडियो में आग लग गई थी। भारी मात्रा में नुक़सान हुआ था। इसके बाद से स्टूडियो की हालत बदतर हो चली थी। स्टूडियो का नवीनीकरण करने के बाद भी इससे उतनी आमदनी होने की उम्मीद नहीं थी, लिहाज़ा परिवार को इसे बेचने का मुश्किल निर्णय लेना पड़ा है।
इसके बाद जब आरके टूटने की खबर आई तो मानो कलेजा फट गया। आंखें छलक गईं। इस स्टूडियो ने एक से बढ़कर एक फिल्में दीं। श्री 420, चोरी चोरी, आवारा, बूट पॉलिश, जागते रहो, जिस देश मे गंगा बहती है, अब दिल्ली दूर नहीं, मेरा नाम जोकर, बॉबी प्रेम रोग और राम तैरी गंगा मैली जैसी फिल्में हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए बेमिसाल थीं। जिसने बॉलीबुड में अनूठी छाप छोड़ी थी।
Created On :   15 Dec 2024 6:34 PM IST