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ब्लड बैंकों को निर्देश: थैलेसीमिया पीड़ितों को मुफ्त में ही उपलब्ध कराएं खून, दी गई सख्त हिदायत
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन थेरेपी के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कड़ा रुख
- राज्य के सभी ब्लड बैंकों को फिर दी गई सख्त हिदायत
- रक्त नकारनेवाले ब्लड बैंकों पर कार्रवाई के बारे में करें सूचित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश के सभी ब्लड बैंकों को थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों को मुफ्त रक्त आपूर्ति करना अनिवार्य है। लेकिन इसके बाद भी कई शिकायतें सामने आ रही हैं। ताजा मामला मध्यप्रदेश का है, जहां एक ब्लड बैंक के खिलाफ खून के बदले रक्तदाता लाने की मांग करने की शिकायत मिली थी। इस मामले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने इसे लेकर सभी राज्यों के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को पत्र भेजा है। इसके बाद राज्य रक्त संक्रमण परिषद ने सभी ब्लड बैंकों को आयोग के पत्र के साथ कड़ी हिदायत दी है कि वे थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को मुफ्त में ही रक्त दें।
थैलेसीमिया एक रक्त संबंधी बीमारी है, जिसमें दो प्रकार हैं, थैलेसीमिया मेजर और थैलेसीमिया माइनर। थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित व्यक्ति को हर 15 दिन में ब्लड ट्रांसफ्यूजन थेरेपी के लिए खून की जरूरत पड़ती है। आम लोग इस बीमारी का इलाज नहीं करा सकते। इसलिए, केंद्र सरकार ने देश के सभी सरकारी और निजी ब्लड बैंकों को इन मरीजों को मुफ्त रक्त और रक्त घटक उपलब्ध कराने के निर्देश पहले ही दिए थे। इसके बावजूद, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास कई शिकायतें आई हैं कि कई ब्लड बैंक थैलेसीमिया रोगियों से शुल्क ले रहे हैं या समय पर रक्त और रक्त घटकों की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं। आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है। आयोग की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग को पत्र जारी कर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी ब्लड बैंक थैलेसीमिया मरीजों को मुफ्त में ही ब्लड मुहैया करें। इसके साथ ही इसे लेकर की गई उचित कार्रवाई की रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के ईमेल सीपीडॉटएनईपीईआरऐटएनआईसीडॉटइन पर साझा करने का भी निर्देश दिया है।
ब्लड बैंकों को दिया गया निर्देश
राज्य रक्त संक्रमण परिषद के संयुक्त निदेशक डॉ. महेंद्र केंद्रे ने बताया कि राज्य में निजी और सरकारी मिलाकर 250 ब्लड बैंक है। इन बैंकों को पहले से ही यह निर्देश दिया गया है कि महीने में 2 बार निर्धारित की गई ब्लड यूनिट थैलेसिमिया मरीजों के लिए रिजर्व रख डे केयर सेंटर को भेजना होगा।
राज्य में 11 हजार मरीज
एसबीटीसी के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में थैलेसीमिया के 11 हजार मरीज हैं, जिसमें एमएमआर के 2,200 मरीज शामिल हैं। इसके साथ ही हर साल 10 से 15 मरीज बढ़ते हैं। इन्हें हर 15 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता है। इसके लिए प्रत्येक निजी ब्लड बैंक को 10 से 30 यूनिट रक्त रिजर्व रखना होता है और उसे हर महीने लिंक किए गए ब्लड बैंकों को देना होता है।
Created On :   15 Feb 2024 9:07 PM IST