आरे झील में गणेश विसर्जन पर रोक, डेयरी प्रशासन के निर्देश पर मनपा ने लिया फैसला

आरे झील में गणेश विसर्जन पर रोक, डेयरी प्रशासन के निर्देश पर मनपा ने लिया फैसला
  • पर्यावरणविदों ने किया स्वागत
  • आरे झील में गणेश विसर्जन पर रोक
  • मनपा ने लिया फैसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आरे डेयरी प्रशासन के निर्देश पर इस वर्ष मनपा ने आरे परिसर की झील और छोटे तालाबों में गणेश प्रतिमा के विसर्जन पर रोक लगा दी है। इससे महानगर पालिका के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। मनपा को आरे इलाके में स्थापित होने वाली 1000 से अधिक मूर्तियों के विसर्जन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। प्रशासन के इस निर्णय का पर्यावरणविदों ने स्वागत किया है। पर्यावरणविदों ने इस झील में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाने की मांग की थी, क्योंकि इस विसर्जन के कारण झील का प्रदूषण स्तर बढ़ रहा है। पी साउथ डिवीजन के सहायक आयुक्त राजेश अक्रे ने बताया कि आरे डेयरी प्रशासन ने मनपा को सूचित किया है कि इस साल आरे झील में गणेश मूर्तियों को विसर्जित करने की कोई अनुमति नहीं दी जाएगी।

विसर्जन की अनुमति नहीं देने की मांग की थी

वन शक्ति संस्था के संस्थापक डी. स्टालिन ने आरे डेयरी प्रशासन को पत्र लिख कर आरे झील में विसर्जन की अनुमति नहीं देने की मांग की थी। आरे वन क्षेत्र में कई जलस्रोत हैं, जिनसे पानी निकल कर झील में आता है। डी स्टालिन का कहना है कि विसर्जन के कारण आरे में जल स्रोत नष्ट हो जाएंगे, उन्होंने उनकी रक्षा करने का अनुरोध किया था। यहां विसर्जन पर प्रतिबंध के साथ, जुहू बीच, मार्वे और बोरीवली इलाकों से विसर्जित की जाने वाली प्रतिमाओं के लिए मनपा को वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। सहायक आयुक्त अक्रे ने कहा कि अगले सप्ताह इस संबंध में गणपति मंडलों और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई है, जिसमें निर्णय लिया जाएगा।

कृत्रिम तालाब बनाने पर हो रहा विचार

आरे डेयरी प्रशासन ने मनपा को लिखा है कि सरकारी अधिसूचना के अनुसार, आरे डेयरी के पूरे क्षेत्र को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। इस अधिसूचना के अनुसार, संगठन वन शक्ति ने सूचित किया है कि आरे झील में गणेश मूर्तियों के विसर्जन से प्रदूषण होता है। इसलिए मनपा इस झील में गणेश विसर्जन का आयोजन नहीं कर सकती है। अक्रे ने कहा कि आरे कॉलोनी के बाहर एक कृत्रिम तालाब बना कर उसमें गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किए जाने पर विचार किया जा रहा है।

डी. स्टालिन, संस्थापक-वन शक्ति संस्था के मुताबिक पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों के अंदर झीलों में प्रदूषित सामग्री का निपटान कानून द्वारा निषिद्ध है। इसके अलावा, जुलूसों और त्योहारों के दौरान डीजे और लाउडस्पीकर से होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी वन जानवरों के लिए हानिकारक है। हम आरे डेयरी प्रशासन और मनपा के इस निर्णय का स्वागत करते हैं।


Created On :   17 Aug 2023 6:56 PM IST

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