बॉम्बे हाईकोर्ट: बच्चे से बातचीत कर पिता को दी कस्टडी, अदालत ने मां को देने से किया इनकार

बच्चे से बातचीत कर पिता को दी कस्टडी, अदालत ने मां को देने से किया इनकार
  • अदालत ने मां को बच्चे की कस्टडी के लिए नियमित अदालत में जाने की दी अनुमति
  • पिता को 14 जून तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 9 साल के बच्चे से बातचीत कर पिता को उसकी कस्टडी दे दी। अदालत ने मां को बच्चे की कस्टडी देने से इनकार कर दिया। मां ने अदालत में याचिका दायर कर बच्चे की कस्टडी की गुहार लगाई थी। अदालत ने जहां पिता को 14 जून तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। वहीं मां को बच्चे की कस्टडी के लिए नियमित अदालत में जाने की इजाजत दी है।

न्यायमूर्ति कमल खाता और न्यायमूर्ति राजेश एस.पाटिल की अवकाशकालीन खंडपीठ के समक्ष 9 वर्षीय बच्चे की मां की ओर से वकील पावनी चड्ढा की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि हम ने बच्चे से कुछ देर तक बात की। बच्चे की मां के साथ रहने में दिलचस्पी नहीं है। बच्चे के हित पर विचार करने के बाद हमारी यही धारणा है कि बच्चे को पिता के पास रहने देना चाहिए। पिछले दिनों खंडपीठ ने पिता को बच्चे के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया था। मां की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि पिता ने बच्चे को मां के खिलाफ बोलने के लिए उकसाया है।

जबकि पिता के वकील ने कहा कि बच्चे का ब्रिटेन के डॉक्टर से जूम पर काउंसलिंग चल रही है। उसके मुवक्किल (बच्चे के पिता) को डॉक्टर और बच्चे के बीच आयोजित काउंसलिंग के लिए जूम सत्र में शामिल होने की मां को अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं होगी। इससे मां की आशंका दूर हो जाएगी। मां को उस काउंसलिंग के दौरान बच्चे को संबोधित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और वह किसी भी तरीके से काउंसलिंग को बाधित नहीं करेगी। मां तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगी, जब तक कि डॉक्टर को काउंसलिंग के दौरान उसकी राय की आवश्यकता न हो।

दोनों पक्षों की दलील सुनने के खंडपीठ ने कहा कि हमने मामले का गुण-दोष पर विचार नहीं किया है। याचिकाकर्ता (मां) का फैमिली कोर्ट में कार्यवाही चल रही है। बच्चे की कस्टडी का मामला नियमित अदालत के समक्ष भी लाया जा सकता है। खंडपीठ ने पिता को 14 जून तक याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

Created On :   9 Jun 2024 9:03 PM IST

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