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Mumbai News: अभिनेत्री रूपाली गांगुली को अंतरिम राहत, पत्नी की हत्या के दोषी को नहीं मिली राहत
- अभिनेत्री रूपाली गांगुली को ईशा वर्मा के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में हाई कोर्ट से मिली अंतरिम राहत
- बॉम्बे हाईकोर्ट से पत्नी की हत्या के दोषी को नहीं मिली राहत
Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेत्री रूपाली गांगुली को ईशा वर्मा समेत अन्य के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में अंतरिम राहत दी है। अदालत ने प्रतिवादियों और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को याचिकाकर्ता के बारे में अपमानजनक सामग्री प्रकाशित, होस्ट और साझा करने से रोक दिया है। गांगुली के पति की पहली शादी से बेटी ईशा वर्मा ने अभिनेत्री की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए लगातार अभियान चलाया है। न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की एकली पीठ ने गांगुली की याचिका में प्रस्तुत साक्ष्य की समीक्षा की, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट, साक्षात्कार और लेखों का संकलन शामिल था। इसमें मानहानि करने वाले बयान शामिल हैं। पीठ ने पाया कि यह सामग्री प्रथम दृष्टया अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण है। नोटिस दिए जाने के बावजूद ईशा वर्मा अदालत में उपस्थित नहीं हुई। वर्मा ने गांगुली पर अपने पिता की पिछली शादी में हस्तक्षेप करने और उनके जीवन को नियंत्रित करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गांगुली ने उन्हें और उनकी मां को मौखिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया। याचिका में इन आरोपों को निराधार और गांगुली की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला माना गया। पीठ ने वर्मा और उनके प्रतिनिधियों को सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म सहित किसी भी माध्यम से गांगुली के खिलाफ कोई भी अपमानजनक बयान, पोस्ट, वीडियो या सामग्री प्रकाशित, पोस्ट या प्रसारित करने से रोका लगाया है। अदालत का यह फैसला डिजिटल युग में मानहानि के लिए कानूनी निवारण के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है, जहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आरोप तेजी से लोकप्रिय हो सकते हैं। वकील सना रईस खान ने दलील दी कि इस तरह का अभियान न केवल गांगुली के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि अनियंत्रित ऑनलाइन उत्पीड़न के लिए एक खतरनाक मिसाल भी स्थापित करता है
बॉम्बे हाई कोर्ट से पत्नी की हत्या के दोषी को नहीं मिली राहत
बॉम्बे हाई कोर्ट से पत्नी की हत्या के दोषी को राहत नहीं मिली। अदालत ने पुणे सेशन कोर्ट के पति को दिए आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष द्वारा दोषी व्यक्ति के खिलाफ पत्नी की हत्या के मामले में जो सबूत पेश किया गया, वह संदेश पे परे हैं। याचिकाकर्ता की पत्नी खून से लथपथ घर में पड़ी थी। वह पत्नी के सिर पर गैस सिलेंडर से मारने के बाद उस पर डंबल से भी हमला करने का प्रयास कर रहा था। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति एस.एम.मोडक ने पुणे निवासी भाऊ शामराव जोगदंड की याचिका कर कहा कि मुख्य गवाह याचिकाकर्ता का पड़ोसी था। उसने 12 दिसंबर 2012 रात करीब 8 बजे उनमें झगड़ा होते देखा था। वह घटना के बाद मौके पर पहुंचा था। उसने आरोपी को डंबल पकड़े हुए देखा था। सभी गवाह एक-दूसरे से सुसंगत हैं और याचिकाकर्ता के अपराध की ओर स्पष्ट रूप से इशारा करते हैं। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील के इस दलील में कोई दम नहीं है कि यह हत्या का मामला नहीं था, बल्कि यह एक छोटा अपराध हो सकता है, क्योंकि यह मामला आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के अंतर्गत आता है। वाला था। उसे और अधिक नुकसान पहुंचाने से रोका गया, लेकिन उस समय मृतक का सिर गैस सिलेंडर से कुचला गया था। फोटोग्राफ से पता चलता है कि सिलेंडर पास में पड़ा था और उस पर खून के धब्बे थे। गैस सिलेंडर और डंबल की पहचान न्यायालय में की गई। पीठ ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार करते हुए हमें याचिका में कोई योग्यता नहीं दिखती। इसलिए उसकी याचिका खारिज की जाती है। याचिकाकर्ता ने 12 दिसंबर 2012 को सुबह अपने घर में पत्नी नंदाबाई की हत्या कर दी। वह शराब पीने का आदी था। मृतक घर में नौकरानी का काम करती थी। उसने उसे शराब के लिए पैसे देने से मना कर दिया और इसी बात को लेकर उनका झगड़ा हुआ। याचिकाकर्ता ने पत्नी के सिर पर गैस सिलेंडर से हमला किया, जिससे उसका सिर फट गया। गया, जहां उसकी मौत हो गई। याचिकाकर्ता ने उस पर डंबल से भी हमला करने की कोशिश की। घर में मौजूद बेटे ने उसे मां पर हमले से रोका। वह बेहोश होकर गिर गई। उसे पास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
Created On :   16 Jan 2025 9:51 PM IST