मिर्जापुर की ग्राउंड रिपोर्ट: हैट्रिक लगाकर रिकॉर्ड बनाएंगी अनुप्रिया!, भाजपा के बागी बिंद बने चुनौती

हैट्रिक लगाकर रिकॉर्ड बनाएंगी अनुप्रिया!, भाजपा के बागी बिंद बने चुनौती
  • भाजपा के बागी बिंद बने केंद्रीय मंत्री के लिए चुनौती
  • अब तक तीन बार कोई नहीं बना सांसद
  • ओबीसी बहुल सीट है मिर्जापुर

डिजिटल डेस्क, मिर्जापुर, अजीत कुमार। मां विन्ध्यवासिनी की भूमि मिर्जापुर का सियासी पारा चरम पर है। मौसमी पारा भी 45 डिग्री पार है। लेकिन केंद्रीय मंत्री और एनडीए के घटक दल अपना दल (एस) की उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल के मुहकुचवा चौराहा स्थित वातानुकूलित चुनाव कार्यालय में शीतलता का माहौल है। कार्यालय में मौजूद पार्टी कार्यकर्ता आगे की सभाओं और डोर-टू-डोर अभियान के लिए तैयार हो रहे हैं। पेठे के साथ ठंढे पानी से अपना गला तर करती महिला कार्यकर्ता अंजू सिंह दावा करती हैं कि यहां अनुप्रिया पटेल हैट्रिक लगाएंगी। इस सीट पर आखिरी चरण में एक जून को वोट डाले जाएंगे।

अब तक तीन बार कोई नहीं बना सांसद

मिर्जापुर देश की ऐसी सीटों में शामिल है, जहां से तीसरी बार कोई सांसद नहीं बना है। ऐसे में अनुप्रिया पटेल की कोशिश इस मिथक को तोड़ते हुए तीसरी बार लोकसभा में पहुंचने की है। इस सीट की एक खासियत यह भी है कि बाहरी प्रत्याशियों के लिए मुफीद सीट रही है। 1984 में यहां से जीते कांग्रेस के उमाकांत मिश्र को छोड़ दें तो पिछले 40 वर्षों से बाहरी प्रत्याशी ही इस सीट से बाजी मारते रहे हैं। इस बार अनुप्रिया का मुकाबला भदोही से भाजपा के निवर्तमान सांसद रमेशचंद बिंद से है, जो सपा के टिकट पर मैदान में हैं। यानी यहां लड़ाई दो सांसदों के बीच है। बिंद मूल रूप से मिर्जापुर के निवासी हैं तो अनुप्रिया चित्रकूट की। बिंद यहां ‘बाहरी बनाम स्थानीय’ का मुद्दा उठा रहे हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक जयप्रकाश सिंह कहते हैं कि 2014 और 2019 का चुनाव जीत चुकीं केंद्रीय मंत्री के खिलाफ बाहरी का मुद्दा चिपकाने से भी नहीं चिपक रहा। बसपा प्रत्याशी मनीष तिवारी यहां दलित और ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की जुगत में हैं। फ्लैशबैक में जाएं तो इस सीट पर अब तक सात बार कांग्रेस, दो बार भाजपा, दो बार अपना दल ने जीत दर्ज की है।

ओबीसी बहुल सीट है मिर्जापुर

अनुप्रिया पटेल को अपने काम और मोदी सरकार की उपलब्धियों पर भरोसा है तो भाजपाई से सपाई बने बिंद को सत्ताविरोधी लहर और मुस्लिम, यादव और बिंद समाज के एकमुश्त वोट से उम्मीदें है। सच्चाई यह है कि 2019 में दो लाख 32 हजार वोटों से जीतीं अनुप्रिया को इस बार अच्छी चुनौती मिल रही है। लगभग 19 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर पटेल तीन लाख, दलित तीन लाख, ब्राह्मण डेढ़ लाख, कोल सवा लाख, मुस्लिम एक लाख 75 हजार, मौर्य-कुशवाहा डेढ़ लाख, बिंद डेढ़ लाख, राजपूत एक लाख और यादव एक लाख हैं।

अनुप्रिया की मुश्किलें बढ़ाएंगे क्षत्रिय?

प्रतापगढ़ से शुरू हुआ सियासी रार मिर्जापुर तक पहुंच गया है। दरअसल अनुप्रिया के उस बयान से क्षत्रिय समाज नाराज है, जिसमें उन्होंने विधायक राजा भैया का नाम लिए बिना कहा था कि राजा अब रानी के पेट से नहीं, बल्कि ईवीएम बटन दबाने से पैदा होता है। इससे खफा राजा भैया के लोग मिर्जापुर पहुंच चुके हैं। हालांकि भाजपा जिला अध्यक्ष बृजभूषण सिंह क्षत्रिय समाज को साधने में लगे हैं।

लाभार्थी वर्ग से सधेगा मकसद

केंद्र सरकार के लाभार्थी विनय कुमार कहते हैं कि यहां तो मोदी के नाम पर वोट पड़ेगा। वे पूछते हैं कि जिस सरकार ने मकान बनाने के लिए तीन-तीन लाख रुपए और खाने के लिए मुफ्त राशन दिया, उसे वोट क्यों नहीं दें? उनके सुर-में-सुर मिलाते हुए नटवा तिराहा के जयपाल साह का कहना है कि अनुप्रिया पटेल ने भी कई बड़े काम कराए हैं। पटेल चौक पर दुकान चलाने वाले सुमन गुप्ता कहते हैं कि इस बार अनुप्रिया पटेल को अच्छी टक्कर मिल रही है।

26 को मोदी पहुंचेंगे मिर्जापुर

भाजपा और उसके सहयोगी दल अपना दल (एस) के कार्यकर्त्ताओं के बीच बेहतर तालमेल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 मई को यहां आ रहे हैं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 30 मई को अनुप्रिया के समर्थन में रोड शो करेंगे।

10 साल में कराए रिकॉर्ड काम : अनुप्रिया

अनुप्रिया पटेल को अपने काम पर भरोसा है। वे कहती हैं कि चाहे विंध्य कॉरिडोर का निर्माण हो या जिले में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना, सभी काम काम हुए हैं। चुनार में गंगा नदी पर पक्का पुल बना तो जनपद के तीन रेलवे स्टेशनों मिर्जापुर, विंध्याचल और चुनार का कायाकल्प हुआ। सभी प्रमुख दर्शनीय स्थलों का सौंदर्यीकरण का कार्य जारी है। वे इस चुनाव में किसी को प्रतिद्वन्द्वी नहीं मानतीं।

चारागाह बनकर रह गया है मिर्जापुर : बिंद

कभी साइकिल से चलने वाले 9वीं पास सपा उम्मीदवार रमेश बिंद को अपनी जीत का भरोसा है। वे कहते हैं कि मिर्जापुर को चारागाह बनाकर रखा गया है। मिर्जापुर को यहां की जनता अब चारागाह नहीं बनने देगी। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ।

Created On :   23 May 2024 2:44 PM GMT

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