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श्रीमद् भागवत ज्ञान महायज्ञ मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान: श्याम सुंदर महाराज
डिजिटल डेस्क, ककरहटी नि.प्र.। ककरहटा ग्राम में पिछले वर्ष चारों धाम यात्रा में केदार नाथ भगवान के दर्शन करने गए 36 वर्षीय राजकुमार सिंह राजपूत अपनी माता श्रीमती राजकुंवर को लेकर बस से गये तभी केदारनाथ जाते समय बस खाई में गिरकर दुर्घटना ग्रस्त हो गई जिसमें भाग्य से माताजी तो बच गईं लेकिन पुत्र राजकुमार सिंह का स्वर्गवास हो गया था। उनकी धर्म पत्नी ने स्वर्गीय राकेश सिंह राजपूत की इच्छा के अनुरूप ससुर मस्त राम राजपूत की प्रथम पुण्य तिथि पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन करवाया जा रहा है।
इस कथा का वाचन व्यास पीठ से श्याम सुंदर महाराज धाम बडामलेहरा द्वारा किया गया जा रहा है। उनके द्वारा कहा गया कि कलियुग में श्रीमद् भागवत कथा कल्प वृक्ष के समान है जो मनुष्य को भव सागर से मुक्ति प्रदान करती है। कथा का एक-एक शब्द भगवान श्री कृष्ण जी के मुखारविंद से निकले मुक्ति दायक मन्त्र है। उन्होंने बताया कि भगवान सुखदेव जी के द्बारा पिता द्बारा रचित श्रीमद्भागवत कथा को सर्वप्रथम राजा परीक्षित जी को सुनाई थी। राजा परीक्षित कलयुग के अन्तिम महान धर्मात्मा राजा थे लेकिन कलयुग के प्रभाव के कारण उन्होंने ऋषि के गले में मृत सर्प डाल दिया था जब ऋषि का पुत्र नदीं से स्नान कर वापिस आया तो पिता के गले में मृत सांप देख गुस्से में राजा परीक्षित को श्राप दिया कि तुम्हारी मृत्यु सातवें दिन सर्प के काटने से होगी।
श्राप के कारण सारे संसार में हाहाकार मच गया कि एक ही तो धर्मात्मा राजा था उसका अन्त निश्चित है। राजा परीक्षित ने महान साधू सन्तों की सभा बुलाई अपने मोक्ष का उपाय पूंछा तब उन्हें बताया गया कि जो सात दिनों श्रीमद्भागवत कथा को सुनेगा तभी मोक्ष की प्राप्ति होगी। वेद व्यास जी ने कहा संसार में एक सम्पूर्ण वैरागी है जो भागवत कथा सुना सकता तब उनके अनुसार भगवान सुखदेव जी को आमंत्रित किया गया और उन्होंने राजा परीक्षित को दिन-रात लगातार सात दिनों तक राजा परीक्षित को कथा का श्रवण कराया गया।
Created On :   25 May 2023 6:09 AM GMT