- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट...
जबलपुर: मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट एल्गिन में तो हॉस्टल विक्टोरिया में क्यों बना
डिजिटल डेस्क, जबलपुर।
रानी दुर्गावती लेडी एल्गिन अस्पताल में बन रहे देश के पहले मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यट के प्रथम चरण की शुरुआत हो चुकी है। यहाँ कुछ माह पहले ही एक बर्थिंग सुइट प्रारंभ कर दिया गया है। एल्गिन हॉस्पिटल के नर्सिंग कॉलेज में इसके लिए 18 महीने का डिप्लोमा कोर्स शुरू किया गया है, जिसमें एमएससी नर्सिंग कर चुकी छात्राओं को ही सिलेक्शन के आधार पर प्रवेश दिया जाना है। छात्राओं काे रहने के लिए हॉस्टल सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। बताया जाता है कि इंस्टीट्यूट की छात्राओं के लिए जिला अस्पताल में हॉस्टल तैयार कराया गया है। प्रश्न इसी निर्णय को लेकर उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जब इंस्टीट्यूट एल्गिन अस्पताल में है तो हॉस्टल जिला अस्पताल में बनाने की क्या जरूरत थी, जबकि एल्गिन अस्पताल परिसर में ही हॉस्टल बनाया जा सकता था। बताया जा रहा है कि पीआईयू द्वारा जिला अस्पताल में एक पुराने हॉस्टल को 1 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च कर रिनोवेट किया गया है, जबकि इतनी राशि से एल्गिन परिसर में भी नया हॉस्टल तैयार किया जा सकता था। एनएचएम की इस कार्यप्रणाली पर अब सवाल उठ रहे हैं।
मिडवाइफरी इंस्टीट्यूट के हॉस्टल का कार्य जिला अस्पताल में पूरा हाे चुका है। पीआईयू द्वारा जिला अस्पताल के हॉस्टल को रिनोवेट कर तैयार किया गया है।
-डॉ. संजय मिश्रा, सीएमएचओ
हॉस्टल दूर होने से कई समस्याएँ
बताया जा रहा है कि एल्गिन अस्पताल परिसर में ही करीब 8 हजार स्क्वायर फीट जगह खाली पड़ी हुई है, जिसका उपयोग फिलहाल नहीं हो रहा है। इधर हॉस्टल विक्टोरिया में तैयार होने के बाद यहाँ रहने वाली छात्राओं को दिक्कतें आना तय है। जानकारों का कहना है कि विक्टोरिया से एल्गिन तक जाने के लिए छात्राओं को कोई न कोई वाहन का प्रयोग करना पड़ेगा अथवा पैदल जाना होगा। ऐसे में अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी होने पर मुश्किलें और बढ़ेंगी। एनएचएम द्वारा कोई वाहन भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। यही हॉस्टल अगर एल्गिन परिसर में होता तो जरूरत पड़ने पर किसी भी वक्त छात्राओं को ड्यूटी पर बुलाया जा सकता था, जो कि अब संभव नहीं नजर आता।
नाॅर्मल डिलीवरीज प्रमोट करना लक्ष्य
एल्गिन हॉस्पिटल में देश के पहले मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के बनने की घोषणा दिसंबर 2020 में हुई थी। इंस्टीट्यूट बनाने के लिए 1 करोड़ 6 लाख रुपयों का बजट स्वीकृत किया गया है। अस्पताल में मिडवाइव्स एजुकेटर्स की टीम तैयार की गई है, जिन्हें विदेशी ट्रेनर द्वारा ट्रेनिंग दी गई है। नर्सिंग कॉलेज में 18 महीने का डिप्लोमा कोर्स शुरू होगा, जिसमें एमएससी नर्सिंग कर चुकी छात्राओं को ही प्रवेश मिलेगा। नाॅर्मल डिलीवरीज को प्रमोट करने इस इंस्टीट्यूट की शुरुआत की गई है।
Created On :   7 Oct 2023 2:34 PM IST