जबलपुर: झील जैसे महानद्दा तालाब में भी बने वाॅकिंग ट्रैक

झील जैसे महानद्दा तालाब में भी बने वाॅकिंग ट्रैक
  • ग्वालियर के कटोरा ताल की तरह हो मछलियों का पालन
  • पर्यटन के लिहाज से किया जाए विकसित, फिलहाल यह बदतर हालात में
  • राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में तालाब करीब साढ़े 14 एकड़ का है।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जिस तरह ग्वालियर के महल रोड स्थित कटोरा ताल को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मछली पालन की व्यवस्था कर अपग्रेड किया गया, ठीक इसी तर्ज पर शहर के बीचों-बीच छोटी लाइन फाटक से मदन महल रोड पर स्थित महानद्दा तालाब के दिन बदले जा सकते हैं।

बीते डेढ़ दशकों में यह तालाब चर्चा में तो बहुत रहा पर सच्चाई यही है कि न तो नगर निगम, न राज्य सरकार ने इसको अपग्रेड कर कुछ नया रूप देने में रुचि दिखाई।

लोगों का कहना है कि अब तो इस झील जैसे तालाब में वाॅकिंग ट्रैक बना देना चाहिए। चारों ओर चलने के लिए फुटपाथ, वाॅकिंग जोन के साथ हरियाली को बढ़ावा मिले तो आसपास के एरिया को सुंदर रूप दिया जा सकता है।

राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में तालाब करीब साढ़े 14 एकड़ का है। इसमें कुछ भूमि किनारे के हिस्सों में कब्जे में है और इसके विकास को लेकर फिलहाल निकट भविष्य में कोई योजना नहीं है।

उपयोग के लिहाज से यह जल तटीय विकास के रूप में दर्ज है, तो कम से कम ऐसा काम होना चाहिए कि तट का विकास और जल का संरक्षण भी हो जाए। वाॅकिंग जोन या ट्रैक के साथ इसमें फाउंटेन, मछली पालन, कैफेटेरिया भी बनाया जा सकता है।

चोई लगी, सालों से अनदेखी

अभी इस तालाब के इर्द-गिर्द झाड़ियाँ उगी हैं, चारों ओर के साथ पूरे तालाब में चोई उगी है। तालाब आकार में बड़ा है लेकिन चोई की वजह से एक छोटी तलैया के रूप में नजर आता है। किसी तरह से नहीं लगता है कि यह एक तेजी से विकसित होते व्यावसायिक एरिया का तालाब है जिसको नगर निगम ने सालों से बेसहारा सा छोड़ दिया है।

हाल ही के वर्षों में इसी हिस्से में फ्लाईओवर का एक रैंप उतरा है और इसी रैंप के चलते किनारे के हिस्से में तालाब के सामने फुटपाथ बन गया है नहीं तो बीते डेढ़ दशक में इस तालाब में कोई ढंग का विकास कार्य नहीं हो सका। तालाब लंबे अरसे से अनदेखी के आलम में है।

पश्चिमी हिस्से में एक उदाहरण पहले से

लोगों का कहना है कि जिस तरह गुलौआ ताल को स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में शामिल कर उसमें वाॅकिंग जोन बनाया गया, कैफेटेरिया, मछली पालन, जिम आदि की व्यवस्था की गई उसी तरह इस तालाब का भी उद्धार होना जरूरी है।

ग्वालियर के कटोरा ताल को देखने के लिए सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं। शहर में भी ऐसी पहल महानद्दा में हो तो तालाब का लुक बदल सकता है। शहर के पश्चिमी हिस्से की सबसे ज्यादा ट्रैफिक वाली सड़क पर इसके अपग्रेड होने से पूरा एरिया अलग रूप में नजर आ सकता है।

Created On :   16 July 2024 6:34 PM IST

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