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जबलपुर: 41 धराशायी स्कूलों के लिए कलेक्टर ने दो साल पहले फंड माँगा, अब मुश्किल से 6 को ही मिला
- इतने वक्त में अफसर तक बदल गए, भवन के बिना शालाओं में अब तक ऐसे ही होती रही पढ़ाई
- जानकारों का कहना है कि बाकी के 35 स्कूलों को लिए कोई दिशा-निर्देश तक नहीं हैं।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। सरकारी स्कूलों के मौजूदा हालातों के लिए अकेले कोई एक दो जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि ऊपर तक पूरा सिस्टम ही लचर तरीके से बना है। खुद कलेक्टर ने धराशायी हो चुके 41 स्कूलों की मरम्मत के लिए खनिज विभाग को फंड जारी करने के लिए कहा।
हैरानी वाली बात यह है कि पिछला पूरा सत्र ऐसे ही निकल गया। अब स्कूल शुरू होने के बाद फंड जारी किया गया है वह भी सिर्फ 6 स्कूलों को शिक्षा विभाग ने तकरीबन दो साल पहले जिले में ऐसे 142 स्कूल चिन्हित किए जो बेहद जर्जर हो चुके थे। बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो चुके इन स्कूलों में से 41 को ढहाने का निर्णय लिया गया।
बच्चों को बैठने तक की जगह नहीं| स्कूल गिरा तो दिए गए लेकिन बच्चों के सिर से छाया छिन गया। कंगाली का रोना रोते हुए जिला शिक्षा केंद्र ने 12 जुलाई 2022 को कलेक्टर को पत्र लिखकर हालात बताए और मदद की गुहार लगाई।
साफ तौर पर यह भी जिक्र किया गया कि कुछ स्कूलों में भवन न होने के कारण शैक्षणिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है। नवीन भवन की बात अलग अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराने तक के लिए भी आवंटन नहीं है। ऐसे में छात्रों को बैठने तक की सुविधा हासिल नहीं हो पा रही है।
फंड का तरीका बताया, लिस्ट भी सौंपी| तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी ने खनिज विभाग को निर्देशित करते हुए कक्ष विहीन 41 स्कूलों की लिस्ट खनिज विभाग को सौंपी थी। इसके अलावा ये भी निर्देश दिए थे कि डीएम फंड से संबंधित शालाओं को रुपए का इंतजाम कराया जाए। हर स्कूल का इस्टीमेट भी बताया गया।
101 स्कूल अभी भी कतार में| तकरीबन दो साल बाद अब जाकर इन 41 स्कूलों में से 6 के लिए फंड का इंतजाम हो पाया है। जानकारों का कहना है कि बाकी के 35 स्कूलों को लिए कोई दिशा-निर्देश तक नहीं हैं।
इस बात के भी कोई संकेत नहीं हैं कि इन स्कूलों के बच्चों को कब तक कक्ष हासिल हो सकेगा। वहीं बाकी के 101 स्कूलों आज भी मरम्मत की राह ही ताक रहे हैं।
Created On :   29 Jun 2024 10:22 AM GMT