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जबलपुर: मेहेरबाबा ट्रस्ट की ‘दान की जमीन’ का मामला
- नियम ताक पर रख अहमदनगर ट्रस्ट की जमीन पर निर्माण कार्य
- द्विपक्षीय समझौते के तहत अहमदनगर ट्रस्ट को दान में दी गई ग्राम देवदरा (मंडला) के खसरा नंबर 159 की जमीन पर 6 फीट ऊंची सीमेंट-कांक्रीट की बाउंड्रीवॉल का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
डिजिटल डेस्क, जबलपुर/मंडला। मेहेरबाबा (एम.एस. ईरानी)के अहमदनगर (महाराष्ट्र) के श्री अवतार मेहेर बाबा परपेचुअल पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट को दान में दी गई जमीन विवादों में घिर गई है। इस पर हुए कब्जे, स्थायी-अस्थायी और आवासीय-व्यवसायिक निर्माणों के चलते इसका नामांतरण आवेदन खारिज होने के बाद अब इस पर चल रहे निर्माण कार्य को लेकर नया विवाद छिड़ गया है।
सूत्रों के अनुसार नामांतरण, डायवर्सन और एनओसी के बिना उक्त जमीन पर आनन-फानन में इसलिए निर्माण कार्य शुरू कराया जा रहा है क्योंकि मंडला के मेहेरबाबा चेरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी तथा उनके जबलपुर और मंडला के व्यावसायिक पार्टनर्स के ‘समझौते के उल्लंघन’ के मामले में घिरने का खतरा पैदा हो गया था।
दस्तावेजों के मुताबिक एम.एस. ईरानी (मेहेरबाबा) की मंडला के देवदरा स्थित करीब 27 एकड़ जमीन के बड़े हिस्से की खरीद-फरोख्त का अधिकार हासिल करनेे धीरेन्द्र चौधरी ने अहमदनगर ट्रस्ट को उक्त जमीन दान में तो दी, उस पर चरणबद्ध तरीके से समय सीमा में सभी विकास कार्य करा कर देने का भी समझौता किया हुआ है।
धीरेन्द्र के नॉमिनी मेसर्स वृंदावन एसो. के पार्टनर राजकुमार विजन (जबलपुर) तथा शैलेष चौरसिया (मंडला) द्वारा अगस्त 2023 में अहमदनगर ट्रस्ट के साथ किए गए समझौते के तहत 6 महीने से साल भर की अवधि में उक्त जमीन के चारों तरफ 6 फीट ऊंची सीमेंट-कांक्रीट की बाउंड्रीवॉल का निर्माण कार्य पूरा कर लेना था।
सूत्रों के अनुसार समझौते की पहली शर्त की मियाद खत्म होने वाली थी इसलिए दूसरे पक्ष की ओर से बिना नामांतरण और डायवर्सन तथ पंचायत की एनओसी आदि की जरूरी अनुमतियों के बगैर ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया।
एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल, प्रशासन को कर रहे गुमराह
‘बिना नामांतरण निर्माण’ के आरोपों से बचने दूसरे पक्ष यानि मंडला ट्रस्ट के प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी व उनके व्यावसायिक सहयोगियों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालना शुरू कर दी है। शैलेष चौरसिया ने उक्त निर्माण कार्य धीरेन्द्र के द्वारा कराए जाने की बात कही है लेकिन सूत्रों ने दावा किया है कि काम शैलेष द्वारा ही किया जा रहा है।
धीरेन्द्र का नाम इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि नामांतरण आवेदन खारिज होने के बाद स्थितियां बदल गई हैं। जमीन की रजिस्ट्री अहमदनगर ट्रस्ट के पक्ष में जरूर हो गई है लेकिन राजस्व रिकॉर्डों में जमीन अब भी एम.एस. ईरानी (मेहेरबाबा) प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी के ही नाम है, लिहाजा प्रशासन को गुमराह करने के लिए जबलपुर व मंडला के डेवलपर धीरेन्द्र का नाम ले रहे हैं। उनका मानना है कि राजस्व रिकॉर्ड में धीरेन्द्र जमीन का मालिक है तो वह वहां निर्माण कार्य करा सकता है।
नियमों का उल्लंघन तो फिर भी हो रहा
जानकारों के अनुसार अहमदनगर ट्रस्ट को दे दी गई जमीन पर यदि धीरेन्द्र निर्माण कार्य करा रहे हैं तो नियमों के उल्लंघन के मामले में प्रशासन को उन पर कार्यवाही करनी चाहिए।
राजस्व रिकॉर्डों में दान की जमीन के आगे बतौर प्रबंधक धीरेन्द्र का नाम भले ही जुड़ा हो लेकिन उक्त कृषि भूमि का डायबर्सन कराए बगैर और पंचायत की एनओसी के बिना निर्माण कार्य वे भी नहीं करा सकते हैं। वैसे भी उक्त भूमि अहमदनगर ट्रस्ट को दान देने के बाद, उस पर धीरेन्द्र चौधरी का किसी भी तरह का अधिकार नहीं रह जाता है।
Created On :   4 Sept 2024 5:18 PM IST