जबलपुर: 146 करोड़ से लगा सॉफ्टवेयर बंद घटने की जगह बढ़ता ही गया लाॅस

146 करोड़ से लगा सॉफ्टवेयर बंद घटने की जगह बढ़ता ही गया लाॅस
विडंबना हर साल बढ़ता जा रहा डाटा सेंटर के मेंटेनेंस का खर्च

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

उपभोक्ताओं को सेवाएँ देने एवं काॅमर्शियल लॉस को कम करने के लिए रिस्ट्रिक्चर ऐसिलरेटेड पॉवर डेवलपमेंट एण्ड रिफार्म प्रोग्राम (आरएपीडीआरपी) स्कीम के तहत पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत आईटी विभाग द्वारा करीब 146 करोड़ की लागत से 27 शहरों में साॅफ्टवेयर लगाए गए थे लेकिन सारे साॅफ्टवेयर अब बंद हो गए हैं, जबकि इन सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए जो डाटा सेंटर बनाया गया उस पर मेंटेनेंस के नाम पर अभी भी हर साल लाखों रुपए का खर्च हो रहा है। खास बात तो यह है कि मेंटेनेंस की यह राशि हर साल बढ़ती जा रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 में बिजली कंपनी में आरएपीडीआरपी स्कीम के तहत लोगों को ऑन लाइन सुविधा मुहैया कराने एवं कंपनी के कॉमर्शियल लॉस कम करने के लिए सीसीएनबी बिलिंग, जीआईएस, एमडीएसएस, एमडीएम, ईएएम आदि 10 से अधिक साॅफ्टवेयर बनाए गए थे। इनके लिए 3.62 करोड़ की लागत से एक डाटा सेंटर भी बनाया गया था, लेकिन वर्तमान में सभी सॉफ्टवेयर बंद पड़े हैं। इनका कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसके बावजूद इन साॅफ्टवेयर के लिए बनाये गए डाटा सेंटर की मेंटेनेंस की लागत राशि हर साल बढ़ती ही जा रही है, जबकि वर्तमान में कंपनी के अधिकांश काम क्लाउड के माध्यम से किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि जिन अधिकारियों द्वारा आरएपीडीआरपी प्रोजेक्ट में गड़बड़ी की गई उन्हीं को आरडीएसएस के तहत कराए जा रहे कामों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है।

डाटा सेंटर में नए इक्यूपमेंट लगा दिए गए हैं तथा नई सर्विस शुरू कर दी गई है इसलिए इसका मेंटेनेंस खर्च बढ़ता जा रहा है। साॅफ्टवेयर की उपयोगिता अपने आप समाप्त हो जाती है।

- विपिन धगट, इंजीनियर चीफ कम्प्यूटर सिस्टम, पूक्षेविविकं

Created On :   11 Oct 2023 8:27 AM GMT

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