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जबलपुर: अयोध्या से रामेश्वरम की 4000 किमी की पदयात्रा कर रहीं शिप्रा
- राम-जानकी वन गमन पथ की यात्रा में नदियों का जल कर रहीं एकत्रित
- गोमती नदी की 1005 किलोमीटर की पदयात्रा करने वाली भारत की पहली महिला हैं
- नदियों के तट पर करीब 10 लाख पौधों का रोपण भी कर चुकी हैं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है। भक्त अपने-अपने तरीके से राम भक्ति को प्रदर्शित कर रहे हैं। ऐसे में जनपद बदायूं, कस्बा बातगंज की 35 वर्षीय एक बेटी अयोध्या से रामेश्वरम की 4000 किलोमीटर की पद यात्रा कर रही हैं। वे राम वन गमन पथ की यात्रा में पड़ने वाली नदियों का जल एकत्रित कर रही हैं। इसी जल से वे रामेश्वरम में अभिषेक करेंगे। जबलपुर पहुँचने पर गौरीघाट में उनका अभिनंदन स्थानीय लोगों ने किया।
अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट-ग्रेजुएशन कर चुकीं शिप्रा पाठक कहती हैं कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, परंतु अयोध्या से रामेश्वरम तक जाने वाले वन मार्ग में राम के तत्व स्थापित हैं। राम को जानने के लिए जल, जंगल, नदी, पहाड़, वन्य प्राणी सबको जानना होगा। सभी के उत्थान के लिए कार्य करना होगा, तभी भारत में राम राज्य आएगा।
कर चुकी हैं नर्मदा परिक्रमा
शिप्रा न केवल राम वन गमन पथ की पद यात्रा कर रही हैं, बल्कि वे नर्मदा, क्षिप्रा, सरयू सहित अन्य नदियों की भी पैदल परिक्रमा कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वे गोमती नदी की 1005 किलोमीटर की पदयात्रा करने वाली भारत की पहली महिला हैं। प्रकृति प्रेमी शिप्रा बताती हैं कि उनकी यात्रा का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है। वे नर्मदा सहित अन्य नदियों के तट पर करीब 10 लाख पौधों का रोपण भी कर चुकी हैं। यात्रा के दौरान वे लोगों से बातचीत करके पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करती हैं।
गौरीघाट में की महाआरती
विगत दिवस शिप्रा गौरीघाट में नर्मदा महाआरती में शामिल हुईं। इस दौरान बलराम यादव, पं.ओमकार दुबे, अशोक द्विवेदी, अर्चना राजपूत, सरला द्विवेदी, संजय आदि उपस्थित रहे। इसके बाद वे बुधवार को अगले पड़ाव पर निकलीं। इस दौरान लोगों ने उन्हें शॉल-श्रीफल देकर विदा किया।
Created On :   5 Jan 2024 4:05 PM IST