Jabalpur News: संदीप शर्मा ने प्रतीक शर्मा के नाम से गढ़ा था फर्जी किरदार

संदीप शर्मा ने प्रतीक शर्मा के नाम से गढ़ा था फर्जी किरदार
तीक शर्मा के नाम से भी 10 लाख 73 हजार रुपए की राशि निकाल ली

Jabalpur News । करोड़ों रुपयों का गबन करके गायब हुआ संयुक्त संचालक ऑडिट का बाबू संदीप शर्मा एक पहेली बन गया है। अभी तक पुलिस उसका कोई सुराग नहीं लगा पाई है जबकि जांच टीमों को उसके नए-नए कारनामे मिल रहे हैं। अब पता चला है िक संदीप शर्मा ने प्रतीक शर्मा नाम से एक फर्जी किरदार गढ़ा था। इस किरदार के नाम पर उसने फर्जी एम्प्लॉई कोड और प्रान यानी परमानेन्ट रिटायरमेंट अकाउंट नम्बर भी जनरेट िकया था और उसे आईएफएमआईएस में ऑनलाइन दर्ज कराया था। यही नहीं उसने प्रतीक शर्मा के नाम से भी 10 लाख 73 हजार रुपए की राशि निकाल लीथी।

बेहद शातिर संदीप शर्मा ने इतनी चतुराई से गबन किया िक कई सालों तक किसी को भनक तक नहीं लगी। अब जबकि उसका काला चिट्ठा खुल रहा है तो अधिकारी भी हैरान और परेशान हो रहे हैं। संदीप ने वैसे तो कई कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति की और उनका फर्जी तरीके से रिटायरमेंट भी करवा दिया। प्रतीक शर्मा नाम का उपयोग उसने अपने सहयोग के लिए किया। इसके जरिए वह गबन के कार्य को अागे बढ़ाता रहा। इस किरदार के नाम पर उसने 10 लाख 73 हजार रुपए की राशि निकाली और अपने परिचितों के नम्बर पर भेज दी।

हर विभाग में होता है लॉग-इन और पासवर्ड का दुरुपयोग-

शायद ही ऐसा कोई विभाग होगा जहां लॉग-इन और पासवर्ड उसी के पास होगा, जिसके नाम से जनरेट िकया गया है। लगभग हर विभाग में मुखिया का लॉग-इन और पासवर्ड स्टेनो, पीए या बाबू के पास होता है। अधिकारी पूरे भरोसे के साथ ये जिम्मेदारी उन्हें देते हैं और अभी तक विश्वासघात के बहुत ही कम मामले सामने आए हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं िक हर अधिकारी गलत कार्य करे। अपना लॉग-इन और पासवर्ड किसी भी दूसरे को देना एक तरह से खुद को मुसीबत में फंसाने जैसा है। अब सरकारी कार्यालयों में एक अभियान यह भी चलना चाहिए कि लॉग-इन और पासवर्ड बदले जाएं अौर जिनके नाम पर हों, वे ही उसे ऑपरेट भी करें।

दूसरे विभागों तक जाएगी जांच की आंच-

अभी तो संदीप शर्मा गायब है इसलिए जांच का दायरा भी सीमित है लेकिन जब वह पकड़ा जाएगा तो यह दायरा बढ़ सकता है। जानकारों का कहना है िक संदीप ने उन विभागों से भी खेल किया होगा, जिनकी ऑडिट का कार्य यहां होता था। नगरीय निकाय के बिल इसी विभाग से पास होते थे और जब तक ऑडिट न हो जाए क्लीन चिट नहीं िमलती थी। ऐसे में संदीप शर्मा ने दूसरे विभागों में भी अपनी शातिर चालों को चलने की कोशिश तो की ही होगी। यह जानकारी तभी मिलेगी, जब वह पुलिस की गिरफ्त में होगा।

Created On :   17 March 2025 5:36 PM

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