- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- जिनके दस्तावेज वैध हैं उनके लीज...
ट्रांसपोर्ट नगर: जिनके दस्तावेज वैध हैं उनके लीज नवीनीकरण व नामांतरण करें
- ईओडब्ल्यू की जाँच रिपोर्ट के आधार पर करें कार्रवाई
- संभागायुक्त ने नगर निगम आयुक्त को दिए निर्देश
- नगर निगम के इस्टेट ब्रांच की 6 सदस्यीय समिति ने कुल 577 प्लॉटों की जाँच की
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर संभागायुक्त ने बहुचर्चित ट्रांसपोर्ट नगर चंडाल भाटा में वर्षों पुराने प्लाॅट आवंटन के मामले में जाँच कर नगर निगम को उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
आयुक्त ने निर्देश दिए कि जिन व्यापारियों के नाम पर लीज है, उनके दस्तावेज वैध हैं, अलॉटमेंट रसीदें हैं, उनके मामले में लीज नवीनीकरण व नामांतरण की कार्रवाई करें। कुछ मामलों में ईओडब्ल्यू की जाँच हुई थी। इन मामलों में ईओडब्ल्यू की जाँच रिपोर्ट के अनुसार उचित कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
वहीं कुछ आवंटित प्लॉटों की लीज नहीं बनी थी, उनमें नए सिरे से लीज बनाने के निर्देश भी दिए। आयुक्त ने कुछ दावों को अमान्य भी किया है। आयुक्त ने सभी पक्षकारों के दस्तावेजों का अवलोकन और उनकी दलीलों को सुनने के बाद विस्तृत आदेश जारी किया।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर 2023 को संभागायुक्त को निर्देश दिए थे कि वे 572 प्लाॅटों की संक्षिप्त जाँच कर प्लॉट के उपयुक्त हकदार तय करने के बाद रिपोर्ट निगमायुक्त को सौंपें। निगमायुक्त प्लॉट पर अवैध कब्जेधारियों और अतिक्रमणकारियों को हटाने के बाद संभागायुक्त की रिपोर्ट के अनुसार सही पात्र को प्लॉट का आवंटन करें। इस मामले को लेकर दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई थी।
पहली याचिका ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी संघ समिति के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बबलू और दूसरी याचिका जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट (टेक्नीक) एसोसिएशन के सचिव हरि सिंह ठाकुर व अन्य की ओर से दायर की गई थीं।
इसके पहले नगर निगम के इस्टेट ब्रांच की 6 सदस्यीय समिति ने कुल 577 प्लॉटों की जाँच की। इनमें से 572 निगम के और शेष 5 मप्र लघु उद्योग निगम के हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्लॉट नंबर, क्षेत्रफल, कब्जाधारी और आवंटी के नाम का उल्लेख किया।
निगम की उक्त रिपोर्ट पर कई आपत्तियाँ उठाई गईं। कुछ आपत्तिकर्ताओं का कहना है कि उक्त संगठनों के जिन पदाधिकारियों ने याचिकाएँ दायर की हैं, वे वैधानिक ऑफिस बियरर्स नहीं हैं। विशिष्ट संगठन और उसके सदस्यों का प्लॉट पर स्थायित्व दावे को लेकर भी आपत्ति उठाई गई।
यह आपत्ति भी ली गई कि निगम की रिपोर्ट में कई ऐसे आवंटियों के नाम हैं, जो उसके सही हकदार नहीं हैं। इस पर हाईकोर्ट ने उक्त निर्देश दिए थे।
Created On :   16 Aug 2024 7:36 PM IST