जबलपुर: बसों का परमिट सहज नहीं, दावों से अलग मौके पर हालात, चंद दिनों के काम में लगते हैं महीनों

बसों का परमिट सहज नहीं, दावों से अलग मौके पर हालात, चंद दिनों के काम में लगते हैं महीनों
  • ऑपरेटरों का कहना कि एक माह से पहले आवेदन ही नहीं होता
  • परिवहन आयुक्त से लेकर सब जगह शिकायत पर प्रक्रिया को सहज नहीं बनाया जा रहा
  • बसों को परमिट की प्रक्रिया में उलझाने की बजाय परिवहन विभाग ने प्रक्रिया को सहज नहीं बनाया है।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पहले यात्री बसों का परमिट यदि रिन्यू कराना है तो अंतिम तिथि से दो से तीन माह पहले ही इसकी प्रक्रिया में आवेदन दिया जा सकता था, लेकिन अब एनआईसी में एक माह से पहले आवेदन ही नहीं होता।

इस पर बस ऑपरेटरों का कहना है कि परिवहन विभाग प्रक्रिया को सरल बनाने की बजाय तनाव पूर्ण खुद बना रहा है। किसी का परमिट यदि खत्म हो रहा है तो पहले आवेदन कर वह इसको जल्द से जल्द निपटाना चाहता है इससे बस ऑपरेटरों को परेशानी नहीं होती, प्रोसेस में प्रकरण आ जाता है।

यात्री बस मौके पर सेवा देती रहती है पर एनआईसी में एक माह का क्लॉज लगाकर ऑपरेटरों के लिए मुसीबत बढ़ा दी गई है। बस ऑपरेटर एसोसिएशन के संजय शर्मा कहते हैं कि यदि परमिट रिन्यू का आवेदन प्रक्रिया में है और उसी बीच खाली बस को टेम्पररी परमिट में कहीं और चलाना हो तो दूसरा परमिट नहीं मिल सकता क्योेंकि पहली एप्लीकेशन पेंडिंग है।

बसों को परमिट की प्रक्रिया में उलझाने की बजाय परिवहन विभाग ने प्रक्रिया को सहज नहीं बनाया है। इसको लेकर जल्द ही परिवहन आयुक्त को कदम उठाने चाहिए।

संभाग में सक्षम अधिकारी नहीं

फिलहाल जबलपुर में उप परिवहन आयुक्त का पद खाली है। इसमें नियुक्ति नहीं हो सकी है। नियमित सक्षम अधिकारी न होने से भी आवेदनों और सुनवाई में समय लगता है। इससे कहीं न कहीं यात्रियों को परेशानी होती है। ज्यादा बसें सड़कों पर नहीं उतर पातीं और सार्वजनिक परिवहन भी इससे प्रभावित हो रहा है।

Created On :   10 May 2024 2:22 PM IST

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