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जबलपुर: लंच के समय अस्पताल के भीतर नहीं रुक सकते मरीज
- पमरे के केंद्रीय अस्पताल में फैली अव्यवस्था, समय पर नहीं मिलते चिकित्सक
- लोगों ने कहा - मरीजों से हो रहा अमानवीय व्यवहार
- इस भीषण गर्मी में बाहर से आने वाले मरीज ज्यादा परेशान हो रहे हैं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पश्चिम मध्य रेलवे के केंद्रीय चिकित्सालय में इस भीषण गर्मी के दिनों में यहाँ आने वाले मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। जबलपुर सहित आसपास के जिलाें से आने वाले मरीज यहाँ इलाज से तो वंचित हो रहे हैं, साथ ही लंच के समय अगर मरीज अस्पताल के भीतर छाँव में खड़े होना चाहें तो कर्मचारी उन्हें खदेड़कर बाहर कर देते हैं। जिससे मरीज धूप में तपने मजबूर हो रहे हैं। जिसको लेकर दूर-दराज से आने वाले रेल कर्मी व उनके परिजनों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि पश्चिम मध्य रेल के तीनों मंडलों के अधिकारियों-कर्मचारियों व उनके परिजनों के इलाज की जिम्मेदारी इस केंद्रीय अस्पताल के भरोसे है। अगर किसी अधिकारी-कर्मचारी को शहर के बाहर निजी अस्पताल में इलाज कराना है ताे इस केंद्रीय अस्पताल से रेफर कराना जरूरी है। इस अस्पताल के भरोसे जबलपुर सहित भोपाल व कोटा मंडल के कर्मचारी भी हैं।
वक्त पर इलाज नहीं मिलने से मरीजों की बढ़ रही परेशानी
यहाँ आने वाले मरीजों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि एक तरह से यह अस्पताल अब विजिटर चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है। मगर वे भी समय पर उपलब्ध नहीं होते। विजिटर चिकित्सक सुबह 11.30 से 12 बजे तक आते हैं और फिर दोपहर 1 बजे तक वापस चले जाते हैं।
इतने कम समय के लिए चिकित्सक उपलब्ध हाेते हैं, ऐसे में बाहर से आने वाले मरीजों को चिकित्सकों से परामर्श नहीं मिल पाता और वे इलाज से वंचित हो रहे हैं। चिकित्सकों से मिलने की आस में दूर के जिलों से आने वाले मरीज एक दिन पहले यहाँ आकर रुकने मजबूर हैं।
अस्पतालों में नहीं रुकने दे रहे मरीजों को
बताया जाता है कि इन दिनों तापमान 40 से 42 डिग्री के आसपास चल रहा है। इस भीषण गर्मी में बाहर से आने वाले मरीज ज्यादा परेशान हो रहे हैं, क्योंकि अस्पताल में 1 बजे लंच हो जाता है जो दो से ढाई बजे तक रहता है।
इस दौरान जो मरीज दूर से आते हैं वापस घर नहीं लौट सकते, वे अगर अस्पताल में रुकना चाहें तो उन्हें यहाँ रुकने नहीं दिया जाता बल्कि अस्पताल का स्टाफ उन्हें बाहर खदेड़ देता है। इस दौरान यहाँ लाइट, पंखे और दरवाजे तक बंद कर दिए जाते हैं। इसके अलावा सोनोग्राफी रिपोर्ट के लिए 10 से 15 दिन तक भटकाया जाता है।
Created On :   24 May 2024 2:51 PM IST