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टिकट के लिए अब दबाव की राजनीति, ‘टिकट नहीं तो कुछ भी नहीं'
डिजिटल डेस्क,शहडोल।
जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, दोनों ही दलों में टिकट के लिए संघर्ष बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति भी तब जबकि जिले की तीनों विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। सत्तारूढ़ दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस में आधा-आधा दर्जन से अधिक दावेदार कतार में लगे हैं। यही नहीं ये अब साम, दाम, दंड, भेद से आगे निकलते हुए बगावत की राह पर आ खड़े हुए हैं। इन दावेदारों ने टिकट को लेकर दबाव बनाने अपने-अपने दल के प्रमुख लोगों को बता दिया है कि यदि ‘टिकट नहीं तो कुछ भी नहीं।’ ये पार्टी छोडऩे तक की बात संगठन के प्रमुखों तक पहुंचा चुके हैं। दावेदारों के टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोडऩे की बात ने दोनों ही दलों के रणनीतिकारों को चिंता में डाल दिया हे। अब रणनीतिकार टिकट पर ‘आम सहमति’ का रास्ता खोजने में जुटे हैं।
कांग्रेस : गुटबाजी खत्म करने 12 को कमलनाथ के साथ बैठक
जिले में गुटबाजी के गाहे-बगाहे सामने आ रहे मामले को पूरी से खत्म कर पार्टी के लिए एकजुटता से जुड़ जाने की कोशिशों को लेकर आगामी 12 अगस्त को भोपाल में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के निवास पर बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में जिले से 30 से ज्यादा नेता शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, बैठक में सभी गुट के लोग अपनी बात रखेंगे। इससे पहले कुछ नेता दिल्ली जाकर भी अपनी बात रख चुके हैं। अब सबकी निगाहें 12 को भोपाल में होने वाली बैठक पर है।
भाजपा : प्रत्येक मतदाता तक पहुंच सुनिश्चित करने निकलेंगी यात्राएं
टिकट को लेकर तीनों विधानसभा सीटों पर मचे द्वंद के बीच भाजपा संगठन की नजर प्रत्येक बूथ पर कम से कम 51 फीसदी वोट पाने पर है। पार्टी के रणनीतिकारों का मामनना है कि बूथ स्तर पर वोट परसेंटेज बढ़ाये जाने की कवायद पूरी कर ली गई तो टिकट को लेकर मचे द्वंद से उतना नुकसान नहीं होगा। पार्टी जिसे भी टिकट देगी वह जीतने की स्थिति में रहेगा। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए यात्राएं निकालने से लेकर मंडल और बूथ स्तर पर कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई जा रही है।
Created On :   5 Aug 2023 3:02 PM IST