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जबलपुर: दो भाइयों की नई सोच ने बदली नमकीन के कारोबार की दिशा
- अंशुल नमकीन की सफलता की कहानी
- पहले एक्सपेरिमेंट, फिर सक्सेस, अब बन गए ब्रांड
- कई स्तरों पर संघर्ष से सामना हुआ पर हार स्वीकार नहीं की। नतीजतन, कामयाबी कदम चूम रही है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। एक नई सोच के साथ जब पूरी शिद्दत से कोई काम किया जाता है तो कामयाबी के चर्चे दूर-दूर तक सुनाई देते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है 'अंशुल नमकीन'।
दो भाइयों कपिल खत्री व मनीष खत्री ने अपने पुश्तैनी कारोबार गुरुनानक फूड प्रोडक्ट एवं श्री साईं कृपा इंडस्ट्रीज फर्म नाम से कारोबार शुुरू करने के बाद अपनी नई सोच और उत्तम तकनीक का इस्तेमाल किया और चंद सालों में ही अंशुल एक ब्रांड के तौर पर उभरकर सामने आ गया।
जबलपुर, बल्कि पूरे महाकोशल में अंशुल के नमकीन उत्पाद अपनी गुणवत्ता के लिए जाने जा रहे हैं। नमकीन के निर्माण में उच्च दर्जे की मशीनों के प्रयोग से गुणवत्ता के अलावा हाइजीन (शुद्धता) की शर्त भी पूरी की जा रही है।
हालाँकि, अंशुल नमकीन की जो सफलता आज हम देख रहे हैं, कहानी शुरू से इतनी आसान नहीं रही। कई स्तरों पर संघर्ष से सामना हुआ पर हार स्वीकार नहीं की। नतीजतन, कामयाबी कदम चूम रही है। ये कहानी यहीं नहीं रुकती। अंशुल ब्रांड को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए भी प्लानिंग की जा रही है।
नई टेक्नोलाॅजी, नए प्रोडक्ट
अंशुल नमकीन ने समय के साथ अपने प्रोडक्ट में बदलाव भी किए और अपडेट किया। जो भी नई मशीनें आईं उनको अपने यहाँ पर लगाया। इसके कारण उनके प्रोडक्ट की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर हुई।
इसके साथ ही नए स्वाद के प्रोडक्ट भी लाॅन्च किए गए। वर्तमान में अंशुल नमकीन द्वारा 15 प्रकार के नमकीन का निर्माण किया जा रहा है। इनमें झालमुड़ी, सदाबहार मिक्सचर, पंजाबी मिक्सचर, लहसुन मिक्सचर, लौंग सेव, डीलक्स मिक्सचर, आलू भुजिया, बूंदी, मूँगदाल, कश्मीरी सेव, खट्टा-मिट्ठा आदि शामिल हैं।
बाजार को दिए नए जायके
अंशुल नमकीन ने बाजार में पदार्पण के बाद नमकीन के नए जायकों की खोज की। अंशुल नमकीन के प्रबंधकों ने बाजार में 'झालमुड़ी', 'लहसुन मिक्सचर' जैसे आधा दर्जन नए स्वाद वाले नमकीन मार्केट में उतारे, जो अब अंशुल नमकीन की विशेषता बन चुके हैं।
कंपनी के प्रबंधक कपिल खत्री का दावा है कि उनसे पहले जबलपुर में आलू भुजिया कोई नहीं बनाता था, लेकिन जब अंशुल का आलू भुजिया बाजार में आया तो कई नई-पुरानी कंपनियाँ बनाने लगीं।
पुश्तैनी कारोबार में नया ट्विस्ट
कपिल ने बताया कि साल 1978 में उनके पिता श्री परसराम खत्री की गुरुनानक स्वीट्स के नाम से मुकादमगंज में मिठाई की दुकान थी। बाद में वो बंद हो गई। साल 2006 में कपिल अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके जब जबलपुर लौटे तो उन्होंने अपने छोटे भाई मनीष के साथ मिलकर पुश्तैनी कारोबार को शुरू करने की योजना बनाई।
अगले चार साल यानी 2010 तक दोनों भाइयों ने अपने मदन महल (महानद्दा) स्थित पुराने कारखाने में नमकीन का निर्माण किया और बाजार को समझते रहे। दो भाइयों की मेहनत रंग लाई और 2010 में वे रिछाई में अंशुल नमकीन ब्रांड के रूप में स्थापित हो गए।
कारोबार शुुरू करने के बाद दोनों भाइयों और अंशुल ब्रांड ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इनके तीसरे भाई का नाम अंशुल है और उसी के नाम से इस ब्रांड की बुनियाद रखी गई। पहले साल का कारोबार सालाना करीब डेढ़ करोड़ था, जो अब 10 करोड़ से अधिक हो गया है।
"अंशुल' से पहले और बाद में
कंपनी के संचालक कपिल ने बताया कि वर्ष 2010 में जब वे इस कारोबार में आए तब ये सेक्टर अनऑर्गनाइज्ड था। इसके अलावा हाइजीन व शुद्धता को लेकर भी कई इश्यू थे।
अंशुल नमकीन ने सबसे पहले नई तकनीक की मदद से हाइजीन को मेंटेन करने का काम किया और शुद्धता पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया।
कपिल खत्री का दावा है कि अंशुल ब्रांड के बाद ही जबलपुर में नमकीन के व्यापार को ऑर्गनाइज़ करने की शुरुआत हुई, जो अभी तक जारी है।
Created On :   24 Feb 2024 3:17 PM IST