जबलपुर: ब्लड दिलाने के नाम पर वसूले रुपए, दो वार्ड ब्वॉय को हटाया

ब्लड दिलाने के नाम पर वसूले रुपए, दो वार्ड ब्वॉय को हटाया
  • मेडिकल कॉलेज में ठेका कंपनी के कर्मचारियों की भूमिका आई सामने, 2 सुपरवाइजरों को भी हटाया
  • परिजनों की शिकायत मिलने के बाद ठेका कंपनी को कार्रवाई के लिए लिखा है
  • 4 यूनिट रक्त के लिए 18 हजार रुपए लिए जाने की बात सामने आ रही है।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। गरीब और असहाय मरीजों को बहला फुसलाकर उनसेे लूट खसोट का खेल जारी है। ताजा मामला नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है। मरीजों को ब्लड दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली गई।

इसमें ठेका कंपनी के दो वार्ड ब्वॉय की भूमिका सामने आने के बाद उन्हें हटा दिया गया। वहीं 2 सुपरवाइजरों को भी हटाने की कार्रवाई की गई है। मामले की पुष्टि प्रबंधन द्वारा भी की गई है।

जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए आए तीन अलग-अलग मरीजों को ब्लड की आवश्यकता थी। ठेका कंपनी हाइट्स के दो वार्ड ब्वाॅय ने मरीजों के परिजनों से मोटी रकम लेकर ब्लड बैंक से ब्लड उपलब्ध कराया था।

एक परिजन ने इसकी शिकायत अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा से की थी, जिसके बाद अन्य मरीजों के साथ हुई लूट भी सामने आ गई। अधीक्षक द्वारा दोनों वार्ड ब्वाॅय की पहचान करते हुए कंपनी को फटकार लगाई गई और कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा वार्ड ब्वॉय की गड़बड़ी न पकड़ने वाले 2 सुपरवाइजरों को भी जिम्मेदार मानते हुए उन पर कार्रवाई की गई।

18 हजार रुपए वसूले!

सूत्रों के अनुसार तीनों मरीज मेडिसिन विभाग में उपचार करा रहे थे। ब्लड की जरूरत पड़ने पर परिजनों ने वॉर्ड ब्वॉय से ब्लड बैंक का पता पूछा तो वार्ड ब्वॉय ने रकम के बदलने 4 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराने का सौदा तय किया। जिसके बाद मरीजों को रक्त मिल सका। 4 यूनिट रक्त के लिए 18 हजार रुपए लिए जाने की बात सामने आ रही है।

जूनियर डॉक्टर ही ले जा सकते हैं ब्लड

जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक से ब्लड ले जाने की जिम्मेदारी जूनियर डॉक्टर अथवा हाउस ऑफिसर की है। इसके लिए बाकायदा नियम बनाया गया है, लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो रहा, जिसका फायदा दलाल उठा रहे हैं।

यह गंभीर मामला है। परिजनों की शिकायत मिलने के बाद ठेका कंपनी को कार्रवाई के लिए लिखा है, फिलहाल दो वार्ड ब्वॉय को हटा दिया है और लापरवाही बरतने पर 2 सुपरवाइजरों को भी हटाया गया है। पीड़ित मरीजों के परिजनों को रकम वापस कराई गई है।

-डॉ. अरविंद शर्मा, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल

जूनियर डॉक्टर या हाउस ऑफिसर को ब्लड देने का नियम है, लेकिन कई बार मरीज सीधे ब्लड लेने पहुँच जाते हैं। स्थिति को देखते हुए ब्लड उपलब्ध करा दिया जाता है। इसका फायदा बाहरी लोग उठाने की कोशिश करते हैं।

-डॉ. शिशिर चनपुरिया, ब्लड बैंक प्रभारी

Created On :   14 Jun 2024 6:11 PM IST

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