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जबलपुर: जाम से रोजाना प्रभावित हो रही लाखों की आबादी
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
गढ़ा एरिया में शाहीनाका-त्रिपुरी मेडिकल की ओर जाने में पण्डा मढ़िया के अंधे मोड़ दशकों से लोगों के लिए मुसीबत बने हुये हैं। इन हिस्सों में 200 मीटर के दायरे में दो मोड़ हैं, जो निकलने वालों की अच्छी-खासी परीक्षा लेते हैं। जब इस पूरे इलाके में सड़कों पर सब्जी बिकती है, उन हालात में तो इस एरिया से निकलने में एक-एक पग भारी होता है। रविवार के दिन बीच सड़क तक फैली सब्जी की दुकानों की वजह से दोपहर व शाम के वक्त फिर लंबा जाम लगा। ट्रैफिक जाम में जनता खासी परेशान रही। इस एरिया में अस्थाई सब्जी की दुकान लगाने वाले ज्यादातर सड़क का हिस्सा घेर लेते हैं। यही कारण है कि हर रविवार के दिन इस पूरे एरिया में औसत से ज्यादा जाम लगता है। लोगों का कहना है कि इस पूरे एरिया में बदतर हालात से स्थाई रूप से तभी मुक्ति मिल सकती है, जब यहाँ पण्डा की मढ़िया से गढ़ा थाने की सीमा तक एक फ्लाईओवर बना दिया जाए। एक किलोमीटर के एरिया में यदि फ्लाईओवर बने तो लाखों की आबादी का भला हाे सकता है।
कागजों में कैद होकर रह गया फ्लाईओवर का प्लान
कुछ साल पहले पण्डा की मढ़िया से गढ़ा थाने की सीमा तक 800 से 1200 मीटर का फ्लाईओवर बनाने की चर्चा हुई। शुरुआती तौर पर इसको राज्य सरकार से स्वीकृत कराने के लिए भी प्रयास हुये, पर बाद में इस प्लान को भुला दिया गया। शहर के और ऐसे हिस्से में फ्लाईओवर हाल ही में स्वीकृत भी हो गये, लेकिन यहाँ पर सबसे पहले प्लान बनाने पर चर्चा हुई और उसके बाद भी इसकी बारी ही नहीं आ पाई। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अब जो भी नई सरकार आई है, उसको इस एरिया में जनता को राहत देना है ताे यहाँ पर नीचे सड़क चौड़ी करने की बजाय सीधे फ्लाईओवर स्वीकृत किया जाए। यहाँ किसी बड़ी संरचना से ही मौजूदा समस्या से निजात मिल सकती है।
कोशिश भी हुई तो अधूरी
पण्डा की मढ़िया पर अंधे मोड़ को खत्म करने के लिए कुछ वर्गफीट में बाएँ हिस्से में कब्जे अलग किये गये। इसी तरह त्रिपुरी की ओर मुड़ने पर जो अंधा मोड़ आता है, उसके भी बाएँ हिस्से को कुछ खाेला गया, पर यह प्रयास पूरी राहत नहीं दे सके हैं। लोगों का कहना है कि केवल कुछ फीट चौड़ा होने से समस्या का समाधान नहीं निकल सकता है। जब तक यहाँ पर अंधे मोड़ को लेकर कोई स्थाई हल न निकाला जाए, तब तक इस पूरे एरिया में बार-बार लगने वाले ट्रैफिक जाम से राहत मिलना बेहद मुश्किल है।
Created On :   11 Dec 2023 2:22 PM IST