Jabalpur News: साइबर फ्राॅड, हवाला व ऑनलाइन सट्टे की रकम का करते थे लेन-देन

साइबर फ्राॅड, हवाला व ऑनलाइन सट्टे की रकम का करते थे लेन-देन
  • सतना से गिरफ्तार सभी 12 आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया जेल
  • टीम द्वारा जबलपुर, मैहर व सतना में एक साथ छापेमारी की गई थी।
  • साइबर फ्राॅड गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में फैले होना पाया गया है।

Jabalpur News: स्टेट साइबर सेल द्वारा सतना से गिरफ्तार किए गए सभी 12 आरोपियों को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया। जहाँ से सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। पूछताछ में आरोपियोंं द्वारा फर्जी खातों के जरिए हवाला व ऑनलाइन सट्टे की रकम का करोड़ों का लेन-देन किया जाना पाया गया है। इस गिरोह पर लंबे समय से एटीएफ की नजर थी।

गोपनीय जाँच में मामला साइबर फ्राॅड का उजागर होेने पर एसटीएफ द्वारा स्टेट साइबर सेल भोपाल में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। ज्ञात हो कि साइबर फ्राॅड गिरोह के इशारे पर कमीशन की लालच में फर्जी खाता खुलवाकर ट्रांजेक्शन किए जाने के मामले को लेकर सोमवार को एटीएस और स्टेट साइबर सेल भोपाल के अधिकारी-कर्मचारी जबलपुर पहुँचे थे। यहाँ एटीएस की निगरानी में अलग-अलग टीमें गठित कर छापेमारी के लिए रवाना की गई थीं।

टीम द्वारा जबलपुर, मैहर व सतना में एक साथ छापेमारी की गई थी। कार्रवाई के दौरान जबलपुर निवासी ऋतिक श्रीवास, मैहर निवासी मेदनीपाल चतुर्वेदी समेत सतना निवासी अनजर हुसैन, शशांक अग्रवाल, अमित निगम, अनुराग कुशवाहा, स्नेहिल गर्ग, सुमित शेवानी, अमित कुशवाहा, संदीप चतुर्वेदी, नितिन कुशवाहा और सागिर अख्तर को गिरफ्तार किया गया था। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि उनके द्वारा खुलवाए गए खातों से करोड़ों का लेन-देन किया गया है।

कई राज्यों में फैला नेटवर्क

साइबर फ्राॅड गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में फैले होना पाया गया है। गिरोह के सदस्यों के दिल्ली, गुड़गाँव, उत्तर प्रदेश, रायपुर, हरियाणा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल से भी कनेक्शन मिले हैं। आरोपी उक्त शहरों और जिलों में साइबर ठगों को बैंक खाते खुलवाकर 10 से 50 हजार रुपए तक में बेचते थे। जाँच टीम यह पता लगाने में जुटी है कि इनके द्वारा किस गिरोह को खाते बेचे गए थे।

ग्रामीणों काे बनाते थे निशाना

आरोपियों द्वारा ग्रामीणों काे अपना निशाना बनाया जाता था। उन्हें लालच देकर अपने जाल में फँसाकर उनके आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज ले लेते थे फिर उनकी तस्वीर बदलकर फर्जीवाड़ाकर बैंक में खाता खुलवाया जाता था। खाते में जो मोबाइल नम्बर होता था, वह साइबर ठगों के गिरोह के ही सदस्य का होता था।

इस तरह हुआ खेल का खुलासा

बताया जाता है कि मार्च माह में सतना में एक सीमेंट फैक्ट्री का गार्ड केके गौतम अपने यार्ड के पास एक मित्र पयासी के पास पहुँचा, जो कि ऑनलाइन का कार्य करता है। इस दौरान उन्हें पता चला कि आधार कार्ड से बैंक में जमा राशि की जानकारी मिल जाती है। तब केके गौतम को अपने खाते की याद आई। उसने आधार कार्ड नंबर बताया तो यह पता चला कि इंडसइंड बैंक के उनके खाते में 1.09 लाख रुपए जमा हैं।

गौतम ने कहा कि उसने कभी राशि जमा ही नहीं की है फिर इस खाते में इतनी राशि कैसे जमा हो गई। इसके बाद गौतम ने इसकी जानकारी अन्य गार्ड सूरज पाण्डेय, अनिल पाण्डेय व कौशलेन्द्र द्विवेदी को दी। ये लोग भी यहाँ पहुँचे और इनके खातों में भी बैंक बैलेंस दिखा रहा था। जबकि इन लोगों ने भी कोई राशि जमा नहीं की थी। इससे परेशान होकर सभी लोग अगले दिन दशमेश होटल के पास स्थित इंडसइंड बैंक गए तो वहाँ अमित निगम मिला।

जब उससे बात करने लगे तो हल्ला होने लगा। यह देख बैंक मैनेजर यहाँ पहुँचे। जब उन्हें इस बात की जानकारी दी तो बैंक मैनेजर ने इस खाते का स्टेटमेंट निकाला तो पता चला कि इस खाते से यूपीआई के जरिए सवा करोड़ रुपए के लगभग का लेन-देन हो चुका है।

Created On :   9 Jan 2025 7:20 PM IST

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