Jabalpur News: "वॉटर प्लस' के लिए कहीं माइनस न बन जाएं तालाबों के हाल

वॉटर प्लस के लिए कहीं माइनस न बन जाएं तालाबों के हाल
  • स्वच्छ सर्वेक्षण: पब्लिक फीड बैक का काम धीमा
  • ओटीपी बताने से डर रहे लोग, अब कभी भी आ सकती है सर्वे टीम
  • एक समय में जबलपुर शहर में 52 ताल और तलैया थीं। अब नगर निगम की सीमा में 36 तालाब ही बचे हैं।

Jabalpur News: शहर में कभी भी स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम आ सकती है। स्वच्छ सर्वेक्षण में 1200 अंक की वाॅटर प्लस कैटेगरी में नगर निगम के सामने अधिकतम अंक अर्जित करने का अच्छा मौका था। तालाबों की साफ-सफाई और मेन्टेनेन्स में लापरवाही और सीवेज के पानी का री-यूज नहीं होने से इस कैटेगरी में ज्यादा अंक मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है। वहीं दूसरी तरफ पब्लिक फीड बैक का काम भी धीमी रफ्तार से चल रहा है। फीड बैक के लिए लोग ओटीपी बताने से डर रहे हैं, जो अंकों की राह में बाधक साबित हो सकता है।

एक समय में जबलपुर शहर में 52 ताल और तलैया थीं। अब नगर निगम की सीमा में 36 तालाब ही बचे हैं। जिनमें से रानीताल, गुलौआ ताल, गंगासागर, गोकलपुर तालाब, सूपाताल, देवताल, संग्राम सागर, इमरती तालाब, हनुमानताल, माढ़ोताल, अधारताल, मानेगांव, बिलपुरा और महानद्दा सहित कुछ अन्य तालाबों में गंदगी की भरमार है। इससे उम्मीद की जा रही थी कि स्वच्छ सर्वेक्षण में वाॅटर प्लस की कैटेगरी में अधिकतम अंक मिलेंगे, लेकिन साफ-सफाई और मेन्टेनेन्स में लापरवाही के कारण वाॅटर प्लस की कैटेगरी में भी अंक कट सकते हैं।

कठौंदा ताल: पानी का नहीं कर रहे री-यूज

नगर निगम ने कठौंदा में सीवेज के पानी का री-यूज करने के लिए लगभग 25 एकड़ क्षेत्र में तालाब बनाया है। प्लान के अनुसार तालाब में एकत्रित होने वाले सीवेज के पानी का री-यूज करना था। इस पानी का उपयोग सिंचाई, निर्माण कार्यों और धुलाई के लिए करना था, लेकिन निगम ने सीवेज के पानी का री-यूज नहीं किया। निगम की लापरवाही का असर स्वच्छ सर्वेक्षण में पड़ना तय है।

सूपाताल हो गया बदहाल

निगम ने लगभग 8 वर्ष पहले सूपाताल की सफाई और सौंदर्यीकरण का काम कराया था, लेकिन अब सूपाताल बदहाल हो गया है। यहां पर वॉकिंग ट्रैक के पेवर ब्लॉक उखड़ चुके हैं। लाइटें और कुर्सियां तोड़ दी गई हैं।

10 करोड़ खर्च किए, तालाब में जम गई चोई

स्मार्ट सिटी ने एक साल पहले 10 करोड़ रुपए खर्च कर रानीताल की सफाई और सौंदर्यीकरण का काम किया था। एक साल में ही तालाब के पानी में चोई जम गई है। तालाब के किनारे लगाए गए पौधे भी सूखने लगे हैं।

माढ़ोताल में ढाई साल में भी कुछ नहीं बदला

31 मई 2022 को तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी ने माढ़ोताल को शासकीय तालाब घोषित कर दिया था। माढ़ोताल के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण की योजना तैयार हुई फिर भी ढाई साल बाद हालात नहीं बदले।

हनुमानताल

तीन घाट टूट चुके हैं। तालाब में ड्रेनेज का पानी मिल रहा है। पानी दूषित होने से मछलियां मर रही हैं। 1.92 करोड़ से सफाई और सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया गया है।

गुलौआ ताल

नगर निगम ने पांच साल पहले 5 करोड़ रुपए खर्च कर गुलौआ ताल का सौंदर्यीकरण किया था। मेन्टेनेन्स नहीं होने से गुलौआ ताल के वॉकिंग ट्रैक पर लगाए गए पेवर ब्लॉक उखड़ चुके हैं। यहां की आधा दर्जन से अधिक कुर्सियां भी टूट चुकी हैं।

फीड बैक लेने घर-घर जाएंगे सुपरवाइजर

निगमायुक्त प्रीति यादव ने बताया कि शहर में पब्लिक फीड बैक का काम शुरू कर दिया गया है। नागरिकों से फीड बैक लेने के लिए वार्ड सुपरवाइजर घर-घर जाएंगे। निगमायुक्त ने अपील की है कि स्वच्छ सर्वेक्षण के अंतर्गत नागरिकों से निर्धारित प्रपत्र में सवाल पूछे जाएंगे।

नगर निगम द्वारा तालाबों की साफ-सफाई और मेन्टेनेन्स का काम नियमित रूप से किया जा रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए कुछ तालाबों की सफाई भी कराई जा रही है।

- कमलेश श्रीवास्तव, प्रभारी अधीक्षण यंत्री, नगर निगम

Created On :   22 Feb 2025 1:16 PM IST

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