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जबलपुर: ड्रेन-टू-ड्रेन सड़कों के नाम पर काट डाले हरे भरे पेड़, बदले में नहीं लगाया एक भी पौधा
- धीरे-धीरे गायब हो गई सड़कों के किनारे की हरियाली
- भीषण तपन में पनाह माँग रही जनता, अब भी नींद में हैं जिम्मेदार
- मेडिकल रोड समेत अन्य मार्गों के किनारे पौधा रोपण की योजना बनाई जा रही है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। तापमान का पारा रिकॉर्ड तोड़ने पर आमादा है। भीषण गर्मी में जनता पनाह माँगती नजर आ रही है। जब कष्ट सामने आया तो जिम्मेदार अब पर्यावरण को पहुँचाई गई क्षति का राग अलाप रहे हैं, लेकिन वास्तविकता चौंकाने वाली है। प्रबुद्धजनों का ये कहना बिल्कुल गलत भी नहीं लग रहा कि इन हालातों के लिए भी शहर के कथित कर्ता-धर्ता ही जिम्मेदार हैं।
चौड़ीकरण और ड्रेन-टू-ड्रेन सड़कों के काॅन्सेप्ट के चलते सड़कों के किनारे लगे हजारों छायादार वृक्षों का कत्ल कर दिया गया। हैरानी की बात तो यह कि इसके बदले कई सड़कों पर संबंधित एजेंसी या ठेकेदार द्वारा एक भी पौधा नहीं रोपा गया।
अनियमितता खुले तौर पर चलती रही और जिम्मेदार नींद में गाफिल रहे। भीषण गर्मी के रूप में इसकी कीमत अब हर व्यक्ति को चुकानी पड़ रही है।
डीपीआर में पौधों का जिक्र तक नहीं
जानकारों से चर्चा में एक बड़ी बात यह सामने आई कि शहर में पिछले दो दशक में बनाई गई सड़कों की डीपीआर में पौधों को रोपने का जिक्र तक नहीं किया गया। पूरी फाइल जनप्रतिनिधियों और अफसरों के सामने से निकल गई लेकिन किसी ने ये सवाल उठाना लाजिमी नहीं समझा कि जब सड़क बनाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं तो फिर डीपीआर में उसके बदले पौधों के रोपण का नियम क्यों लागू नहीं किया गया?
नगर निगम के उद्यान विभाग प्रभारी आदित्य शुक्ला का कहना है कि अब डीपीआर में इसका ध्यान रखा जाएगा, वहीं अंधमूक बायपास से धनवंतरी नगर, गोहलपुर से खजरी खिरिया और मेडिकल रोड समेत अन्य मार्गों के किनारे पौधा रोपण की योजना बनाई जा रही है।
सड़कों पर अरबों फूँके पर प्लांटेशन को भूले
नागरिकों का कहना है कि बढ़ती जनसंख्या, शहर के विस्तार और वाहनों के दबाव के चलते सड़कों का फोर-लेन या सिक्स-लेन किया जाना आवश्यक भी था, लेकिन इसमें जिस महत्वपूर्ण पक्ष को दरकिनार कर दिया गया, वह बेहद चिंताजनक है।
दो दशक पहले दमोहनाका से अधारताल तक फोर-लेन सड़क बनी, हाल ही में इसे करौंदा नाला तक बढ़ाया गया। इसी तरह धनवंतरी नगर से अंधमूक चौराहा, त्रिपुरी चौक से मेडिकल, दमोहनाका से पाटन बायपास और इधर गोहलपुर से खजरी खिरिया तक फोर-लेन सड़क बनाई गई। फुटपाथ बनाए गए।
इन कार्यों में अरबों रुपए फूँके गए, लेकिन ठेकेदार या संबंधित एजेंसी द्वारा सरकारी ताैर पर यहाँ एक भी पौधा नहीं रोपा गया। राजमार्गों और नेशनल हाईवेज पर भी कमोबेश यही हालात हैं। हालाँकि इनमें कुछ जगहों पर पौधे रोपे गए हैं, लेकिन शहर में निमयों को पूरी तरह ताक पर रख दिया गया।
दो दशकों में सबसे ज्यादा विनाश
उम्र के छह दशक पार कर चुके लोगों के जेहन में शहर की उन सड़कों के दृश्य आज भी ताजा हैं, जहाँ गर्मी में रुककर राहगीर चैन की साँस लेते नजर आते थे। शास्त्री नगर निवासी 72 वर्षीय सुरेन्द्र ज्योतिषी व एमपी मिश्रा ने कहा कि दमोहनाका-अधारताल, घमापुर-राँझी रोड, त्रिपुरी चौक-मेडिकल रोड हो या फिर शहर के अंदरूनी मार्ग..। तीन दशक पहले तक हर जगह हरियाली थी।
सड़कों के किनारे आम, नीम, इमली, पीपल, बरगद, अर्जुन आदि के पेड़ लगे हुए थे। सड़कों के चौड़ीकरण की दौड़ में इन पेड़ों का अस्तित्व ही मिटा दिया गया। हाल ही में दमोहनाका-मदन महल फ्लाईओवर के लिए 165 बड़े वृक्ष काटे गए हैं। हरियाली लगभग गायब हो गई है। ड्रेन-टू-ड्रेन सड़क के काॅन्सेप्ट के चलते कॉलोनियों में भी सड़कों के किनारे लगे पेड़ों का अस्तित्व ही मिटा दिया गया है, जो चिंताजनक है।
सड़क के साथ पर्यावरण की रक्षा के लिए पाँच गुना पेड़ लगाए जाने चाहिए। अब डीपीआर में ध्यान दिया गया है। पौधों का रोपण किया जाएगा।
गोपाल गुप्ता, अधीक्षण यंत्री, लोनिवि
सड़क के निर्माण व डिवाइडर्स के साथ सड़क के किनारे भी छायादार वृक्ष के पौधे रोपे जाने चाहिए। इसके लिए शीघ्र प्लान तैयार होगा।
अजय शर्मा, अधीक्षण यंत्री, नगर निगम
पाँच गुना पेड़ लगाने का है नियम
जानकारों के अनुसार गाइड लाइन तो यह है कि सड़क निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों की संख्या के पाँच गुने छायादार पौधों का रोपण सड़कों के किनारे किया जाना चाहिए। इनकी देखभाल का जिम्मा तय करने का भी नियम है, लेकिन शहर में इस तरह नियमों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया।
लोगों का कहना है कि अब भी समय है कि आगामी बारिश में सड़कों के किनारे ड्रिलिंग करके पौधों के रोपण, उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष पहल होनी चाहिए।
Created On :   1 Jun 2024 2:47 PM IST