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Jabalpur News: सेंचुरी डेवलपर्स पर जीएसटी का छापा, लाखों की गड़बड़ी उजागर
Jabalpur News। उखरी रोड बल्देवबाग और नक्षत्र नगर करमेता स्थित मेसर्स सेंचुरी डेवलपर्स में सीजीएसटी की एंटी इवेजन शाखा ने छापेमार कार्रवाई करते हुए बड़ी गड़बड़ी उजागर की है। इस फर्म द्वारा प्लॉट डेवलप किए जाते थे जिसके लिए लोगों से लाखों करोड़ों रुपए वसूले गए, लेकिन उसकी एवज में जीएसटी नहीं चुकाया गया। जाँच की कार्रवाई के बाद करीब ढाई करोड़ रुपए वसूलने की तैयारी की जा रही है। जीएसटी ने फर्म से बड़ी मात्रा में दस्तावेज और अन्य सामग्री जब्त की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएसटी नियमों के उल्लंघन के संकेत मिलने पर केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर आयुक्त के मार्गदर्शन और नेतृत्व में जीएसटी एंटी इवेजन शाखा ने बल्देवबाग स्थित मेसर्स सेंचुरी डेवलपर्स के परिसर में 26 दिसम्बर को सीजीएसटी की बड़ी कार्रवाई की। इस फर्म के संचालक व प्रोपराइटर स्टार पार्क माढोताल निवासी संदेश जैन हैं। प्रारंभिक जाँच में पाया गया है कि मेसर्स सेंचुरी डेवलपर्स विभिन्न भू-स्वामियों को भूमि विकास सेवाएँ प्रदान कर रहा था। इन सेवाओं में भूमि को प्लॉट के रूप में बिक्री के लिए उपयुक्त बनाना शामिल है। इन सेवाओं को वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट सेवाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिन पर जीएसटी लागू होता है। जाँच के दौरान यह पाया गया कि संदेश जैन के मेसर्स सेंचुरी डेवलपर्स ने भूमि के रूप में प्राप्त राशि पर कोई भी जीएसटी का भुगतान नहीं किया। इसके अतिरिक्त उक्त फर्म द्वारा फाइल की गई रिटर्न में भी 10 लाख रुपए के जीएसटी की गड़बडी पाई गई। अधिकारियाें का कहना है िक प्रारंभिक आकलन के अनुसार लगभग 2.5 करोड़ का जीएसटी डेवलपर से वसूली योग्य है।
ग्राहक बनकर जानकारी जुटाते हैं-
बताया जाता है िक पहले ग्राहक बनकर सीजीएसटी अधिकारी कई मर्तबा फर्म का निरीक्षण करते हैं और धीरे-धीरे जानकारी जुटाते हैं, उसके बाद जब पूरी जानकारी एकत्र हो जाती है तब कार्रवाई की जाती है। इसी प्रकार की कार्रवाई मेसर्स सेंचुरी डेवलपर्स में भी की गई। जब यह पुख्ता हो गया कि फर्म द्वारा प्लॉट विकसित कर बेचे जाते हैं और लोगों को जमीन विकसित करके दी जाती है तब कार्रवाई की गई।
मोबाइल और लैपटॉप से िमली जानकारी-
बताया जाता है िक फर्म में जब छापेमार कार्रवाई की गई, तब वहाँ से मोबाइल और लैपटॉप आदि बरामद िकए गए। इनमें कुछ अहम जानकारी मिली है। इन जानकारियों के आधार पर ही यह तय किया गया है िक करीब ढाई करोड़ रुपए की राशि वसूली योग्य है।
Created On :   29 Dec 2024 10:54 PM IST