फर्जी उपार्जन केन्द्र मामला मुख्यमंत्री तक पहँुचा, फूड-कंट्रोलर सस्पेंड

जाँच में जुटे अधिकारी, रातों रात गायब हो गई धान

डिजिटल डस्क जबलपुर। फर्जी उपार्जन केन्द्रों में जमकर हुई नियम विरुद्ध घटिया धान खरीदी का मामला अब बेहद संगीन हो गया है। खुद मुख्यमंत्री ने इस मामले पर संज्ञान ले लिया है और कठोर कार्रवाई के िनर्देश भोपाल से जारी हुए हैं। इसके तहत सबसे पहली कार्रवाई फूड-कंट्रोलर कमलेश तांडेकर पर हुई और उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं अब बाकी के दोषियों को टारगेट पर लेने की चर्चा है लेकिन जिन अधिकारियों पर खरीदी और केन्द्रों का जिम्मा था उनमें से अभी तक किसी एक पर भी सवालिया निशान तक नहीं लगाए गए हैं। 1 दिसम्बर से शुरू हुई धान की खरीदी में उस समय गंभीर मोड़ आ गया था जब कई वेयरहाउसों ने बिना अनुमति ही धान की खरीदी इस उम्मीद में शुरू कर दी थी िक उन्हें खरीदी केन्द्र बनाया ही जाएगा। इसके पीछे जिला प्रशासन के ही अधिकारी थे। कई केन्द्रों में हजारों क्विंटल धान एकत्र हो गई और उनमें ऐसी धान भी शामिल थी जो कि सड़ चुकी थी। मामला जब चर्चा में आया तो प्रशासन के हाथ-पैर फूलने लगे और आनन-फानन में जाँच के िलए दौरे शुरू किए गए लेकिन इसके बाद भी किया कुछ नहीं गया बल्कि कई वेयरहाउसों को गुपचुप तरीके से केन्द्र बना भी िदया गया। इसके बाद यह मामला भोपाल पहँुचा और वहाँ से एक साथ 10 जाँच दल गठित कर भेजे गए। इनमें से कुछ जाँच दलों ने ईमानदारी से रिपोर्ट तैयार की और उसे मेल के जरिए भोपाल भेज िदया गया जिसमें बताया गया कि बिना केन्द्र बनाए ही हजारों क्विंटल धान की खरीदी कर ली गई और इसमें भारी मात्रा अमानक धान की है जिससे अच्छी धान भी खराब हो सकती है। वहीं कुछ जाँच दल तोता रटंत रट रहे हैं। उन्होंने वेयरहाउस से धान को गायब करवाने में सहयोग भी िकया और रिपोर्ट में साफ कह िदया कि धान की न तो खरीदी हुई और न ही धान मिली। जबकि जाँच दलों को जो वेयरहाउस आवंटित िकए गए थे वे भी जाँच के बाद ही दिए गए थे और जाँच में बताया गया था िक उन वेयरहाउसों में बिना अनुमति खरीदी हो रही है।

121 केन्द्र बनने थे, तांडेकर ने की देर

बताया जाता है िक प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने फूड-कंट्रोलर कमलेश तांडेकर को सस्पेंड करने का जो आदेश जारी िकया है उसमें उल्लेख है िक जिले में कुल 121 खरीदी केन्द्र बनाए जाने थे जिसके विरुद्ध जिले में 85 केन्द्र स्थापित िकए गए। शेष 36 उपार्जन केन्द्र स्थापित करने के लिए महिला स्वसहायता समूहों के प्रस्ताव श्री तांडेकर ने विलम्ब से 21 दिसम्बर को प्रेषित किए। इससे समय पर केन्द्र नहीं बन पाए और किसानों को उपज बेचने में परेशानी हुई। उपार्जन नीति के अनुसार सेवा सहकारी संस्थाओं को दो-दो उपार्जन केन्द्र संचालित करने के प्रावधान के विरुद्ध जिले की 27 सहकारी समितियों को केवल 1-1 उपार्जन केन्द्र संचालित करने का कार्य दिया गया। इससे निर्धारित केन्द्र स्थापित नहीं हो पाए। यह घोर लापरवाही है और यही कारण है िक श्री तांडेकर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है और निलम्बन अवधि में इनका मुख्यालय खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण संचालनालय भोपाल रहेगा।

इन्हें क्यों छोड़ा गया

धान खरीदी की जाँच का जिम्मा तमाम एसडीएम को िदया गया था, खाद्य विभाग के अधिकारी भी इसमें शामिल थे, वहीं वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन और मार्कफेड के अधिकारियों का कहीं जिक्र तक नहीं िकया जा रहा है। डिप्टी कलेक्टर, अपर कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत भी खरीदी केन्द्र की जाँच के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन 1 दिसम्बर से अभी तक केवल लोकायुक्त ने ईमानदारी से कार्य िकया और रिश्वत लेते कम्प्यूटर ऑपरेटर को पकड़ा, बाकी किसी ने भी किसी केन्द्र में कोई जाँच नहीं की। सहाकारिता उपायुक्त डॉ. अखिलेश िनगम पिक्चर से ही गायब हैं जबकि उपार्जन समिति में वे जिम्मेदार पद पर हैं।

रातों-रात गायब हुई धान

जानकारों का कहना है िक जैसे ही वेयरहाउस संचालकों को यह पता चला कि जाँच दल आ रहा है तत्काल ही बिना अनुमति खरीदी करने वाले वेयरहाउसों से धान को गायब करवाया गया। यहाँ तक की कई वेयरहाउसों में जाँच दल पहँुच भी गया था लेकिन एप्रोच लगाकर जाँच दल को रोका गया और उनकी मौजूदगी में ही धान गायब करवाई गई। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है िक सरकारी बारदानों यानी बोरों में बिना अनुमति खरीदी हुई, यह कैसे हुआ कोई बताने तैयार नहीं।

Created On :   26 Dec 2023 11:39 PM IST

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