जबलपुर: सिस्टम को सुधारने में करोड़ाें रु. खर्च फिर भी ट्रैफिक सिग्नल बदहाल, जनता की मुसीबत

सिस्टम को सुधारने में करोड़ाें रु. खर्च फिर भी ट्रैफिक सिग्नल बदहाल, जनता की मुसीबत
इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के लिए स्मार्ट सिटी को मिले हैं 24 करोड़, इसके बावजूद हालात दयनीय

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कुछ समय पहले स्मार्ट सिटी ने इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) पहले शुरू किया था। इसके लिए केन्द्र सरकार ने 24 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। सिस्टम को बेहतर बनाने के नाम पर इस राशि में से करोड़ाें रुपए खर्च भी किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद शहर में ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम फेल नजर आ रहा है। कहीं सिग्नल महीनों से बंद हैं तो किसी का टाइमर ही खराब पड़ा हुआ है। इसके चलते यातायात व्यवस्था लचर हो गई है। कई जगह जाम के हालात बन रहे हैं लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इतनी बड़ी राशि के खर्च के बाद भी हालात दयनीय होने की वजह से लोग काम के तरीके और गुणवत्ता पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं।

आए दिन निर्मित हो रही समस्या

जानकारों के अनुसार तो स्मार्ट सिटी, नगर निगम एवं यातायात पुलिस द्वारा शहर के नौदरा ब्रिज, ब्लूम चौक, तीन पत्ती चौक, बंदरिया तिराहा, दर्शन सिंह तिराहा, सगड़ा, एम्पायर तिराहा, तैयब अली चौक, लेबर चौराहा, गोहलपुर, रद्दी चौकी एवं अधारताल तिराहे के अलावा रानीताल चौक, दमोह नाका, घमापुर चौक एवं बल्देवबाग चौक आदि स्थानों पर भी ट्रैफिक सिग्नल्स लगवाए गए हैं। इनमें से आधा दर्जन से ज्यादा ट्रैफिक सिग्नल्स स्मार्ट सिटी के हैं तो वहीं शेष सिग्नल नगर निगम एवं यातायात पुलिस के हैं। लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता से इनमें जब-तब बंद होने और उनमें लगे टाइमरों में तकनीकी खराबियाँ आना बना हुआ है।


खर्च और गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल

एक-दूसरे पर डाल देते हैं जिम्मेदारी

मौजूदा समय में करोड़ों की राशि खर्च होने के बावजूद ट्रैफिक सिग्नल्स के गड़बड़ होने पर भी स्मार्ट सिटी के अलावा नगर निगम एवं ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नजर आ रहे हैं। यातायात पुलिस के जिम्मेदार जहाँ ये कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं कि वे ट्रैफिक सिग्नल्स को बंद देखते ही तत्काल नगर निगम एवं स्मार्ट सिटी को सूचित कर देते हैं तो वहीं नगर निगम के जिम्मेदार भी स्मार्ट सिटी को ही मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार ठहरा देते हैं। इस तरह करोड़ों की होली जलने के बावजूद ट्रैफिक सिग्नल्स की ओर किसी भी जिम्मेदार का ध्यान नहीं है।

सुधार में नहीं बरती जा रही गंभीरता

स्मार्ट सिटी द्वारा एक कंपनी विशेष को आईटीएमएस का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके तहत 5 वर्षों तक ट्रैफिक सिग्नल्स का रखरखाव व सुधार करना, लाल बत्ती पर भी सिग्नल तोड़कर आवागमन करने, ओवरलोडिंग एवं ओवरस्पीडिंग करने वाले चार-पहिया, तीन-पहिया एवं भारी वाहन चालकों का पता लगाकर उन तक ई-चालान भेजने की जिम्मेदारी शामिल है। इसके एवज में स्मार्ट सिटी द्वारा संबंधित कंपनी को 24 करोड़ का भुगतान किया जाता है। लेकिन इतनी बड़ी राशि मिलने के बावजूद ट्रैफिक सिग्नल्स का सुधार कार्य न होना उदासीनता को साफ तौर पर बयां करता है।

शहर के आधा दर्जन स्थानों पर ही स्मार्ट सिटी के ट्रैफिक सिग्नल लगे हैं और उनका मेंटेनेंस एक कंपनी द्वारा नियमित रूप से किया जाता है। शेष जगहों पर नगर निगम एवं यातायात पुलिस के सिग्नल हैं और हमारे द्वारा भी इनका सुधार कराया जाता है। 24 करोड़ से न केवल ट्रैफिक सिंग्नल्स का मेंटेनेंस बल्कि कुछ अन्य कार्य भी संबंधित कंपनी द्वारा पूरे किए जाते हैं।

रवि राव, प्रशासनिक अधिकारी, स्मार्ट सिटी जबलपुर

Created On :   8 Dec 2023 3:07 PM IST

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