ठेकेदारों ने बनाया सिंडीकेट, एमआरपी से ज्यादा रेट में बेची जा रही है शराब

ठेकेदारों ने बनाया सिंडीकेट, एमआरपी से ज्यादा रेट में बेची जा रही है शराब
जिले में 143 दुकानों के कुल 45 ग्रुप हैं, इसमें 40 सिंडीकेट के पास केवल पाँच ठेकेदार ऐसे जो सिंडीकेट से बाहर, लुट रहे शराब के शौकीन

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

नया ठेका होने के बाद शराब कारोबारियों ने आबकारी नीति को ठेंगा दिखाते हुए सिंडीकेट बनाकर शराब के शौकीनों को लूटना शुरू कर िदया है। देशी और विदेशी शराब की बोतलों पर दर्ज एमआरपी को न मानते हुए शराब दुकानों में न केवल मनमानी की जा रही है, बल्कि एमआरपी से बढ़कर कीमत वसूलते हुए मोटी और अतिरिक्त कमाई भी की जा रही है।

शासन-प्रशासन हमेशा उपभोक्ताओं को एमआरपी पर सामान न खरीदने और मोलभाव करने के लिए प्रेरित करता है पर जब सरकार द्वारा नियंत्रित आबकारी व्यवसाय की बात आती है, तो ऐसा लगता है कि शासन-प्रशासन ने आँखें बंद कर रखी हैं। शराब की बोतल पर लिखा होता है एमएसपी यानी मिनिमम सेलिंग प्राइस और एमआरपी अर्थात मैक्सिमम रिटेल प्राइस, इसका अर्थ है कि ठेकेदार इन दोनों मूल्यों के बीच में शराब बेचे पर फिलहाल एमआरपी से 8 से 15 प्रतिशत तक ऊपर शराब बेचकर अंधाधुंध कमाई शराब ठेकेदार कर रहे हैं। इससे सरकार को कोई अतिरिक्त राजस्व नहीं मिल रहा बल्कि शासन को निर्धारित राशि ही मिल रही है।

जिले में छोटे शराब कारोबारियों के साथ ही इस बार बड़े और बाहरी कारोबारी भी कूद पड़े हैं, जिसके कारण सिंडीकेट फल-फूल रहा है। हालाँकि प्रशासन बहुत दिनों तक चुप नहीं बैठ सकता, लेकिन फिलहाल तो खामोशी है। जिले में कुल 143 शराब दुकानों के िलए 45 समूह बनाए गए हैं। इनमें से 40 समूहों के ठेकेदारों ने मिलकर सिंडीकेट बना लिया है। करीब एक पखवाड़े से शराब दुकानों में शराब ऊँचे दामों पर मिलने लगी, जिससे शराब पीने वाले चौंक गए। लोगों ने विरोध भी किया और एमआरपी और एमएसपी का हवाला भी दिया लेकिन शराब दुकानों पर बैठने वाले डरावने लोगों के कारण कोई खास विरोध नहीं हो पाया। इसमें एक पक्ष और है कि सिंडीकेट से बाहर चल रहे ठेेकेदारों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है ताकि वे भी उसमें शामिल हो जाएँ।

अलग दुकानें अलग रेट

बताया जाता है कि शहर की कुछ दुकानों में निर्धारित दरों पर ही शराब मिल रही है, जबकि बाकी दुकानों में मनमाने दामों पर शराब बेची जा रही है। इससे शराब की कालाबाजारी भी जमकर हो रही है। जहाँ निर्धारित दरों पर शराब मिल रही है वहाँ से शराब खरीदकर लोग बाकी जगह बेच भी रहे हैं। इससे विवाद की नाैबत भी आ रही है। पिछले साल भी शराब ठेकेदार आपस में कई बार लड़े थे और इस बार भी ऐसा लग रहा है कि प्रशासन बैठकर इस बात का इंतजार कर रहा है कि पहले खून खराबा हो फिर कुछ किया जाए।

वीडियो हो रहे वायरल, विवाद की आशंका

शहर में लगातार सोशल मीडिया पर शराब सिंडीकेट के खिलाफ वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। शराब निश्चित ही समाज के लिए घातक है और कतई इसका समर्थन नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन इस सच्चाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि समाज का बड़ा तबका इसका आदी है और यदि नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो प्रशासन को आगे आकर कार्रवाई करनी चाहिए।

विधायक ने कलेक्टर को लिखा पत्र

इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी के पनागर विधायक सुशील तिवारी इंदु ने कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन को पत्र लिखकर कहा है कि छोटे ठेकेदारों को प्रोत्साहित करने और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए नई शराब नीति बनाई गई थी, लेकिन जिले की शराब दुकानों पर एक समूह विशेष ने कब्जा कर लिया है और एमआरपी से ऊपर बिक्री की जा रही है। इससे प्रशासन की बदनामी हो रही है। शीघ्र ही उचित कार्रवाई की जाए।

बड़े ठेकेदारों ने कर लिया कब्जा

जानकारों का कहना है कि शराब के दो बड़े एसोसिएट्स ने ही पूरे जिले में कब्जा कर लिया है और यही कारण है कि बाकी के छोटे ठेकेदारों को अब उनके इशारों पर चलना पड़ रहा है। प्रदेश की आबकारी नीति में छोटे कारोबारियों को बढ़ावा देने की बात कही गई थी, लेकिन यहाँ उसके ठीक विपरीत आचरण किया जा रहा है।

उचित कार्रवाई की जाएगी

इस संबंध में संबंधित विभाग को सूचना दी जाएगी और शीघ्र ही उचित कार्रवाई होगी।

-सौरभ कुमार सुमन, कलेक्टर

नहीं बना कोई सिंडीकेट

हमारे पास भी ऐसी सूचना आई थी जिसके बाद हमने सभी लाइसेंस धारकों की बैठक बुलाई और उनसे जानकारी ली। किसी भी सिंडीकेट की कोई खबर नहीं है। यह जरूर है कि कुछ दुकानों में अधिक दामों पर शराब बिकने की शिकायत मिली है, जिस पर 12 दुकानों के प्रकरण तैयार किए गए हैं और उनके लाइसेंस सस्पेंड किए जा रहे हैं।

-रविन्द्र मानिकपुरी

सहायक आबकारी आयुक्त

Created On :   17 May 2023 10:33 AM GMT

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