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महाशिवरात्रि पर 37 वर्षों बाद प्रदोष, शिव एवं सर्वार्थ सिद्धियोग का संयोग
डिजिटल डेस्क जबलपुर। भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का महाशिवरात्रि पर्व सबसे बड़ा पर्व है। मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भक्त महादेव के लिए उपवास रखते हैं। इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ महासंयोग बन रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि भोलेनाथ अपने भक्तों पर अपनी कृपा की वर्षा करने वाले हैं। 37 वर्षों के बाद प्रदोष, शिवयोग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग का महाशिवरात्रि पर सुखद संयोग बन रहा है।
त्रिग्रही योग भी
पं. रोहित दुबे, आचार्य वासुदेव शास्त्री, पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि शुक्रवार को श्रवण एवं घनिष्ठा नक्षत्र मकर एवं कुम्भ राशि होने से जहाँ शनि का संयोग बना है। वहीं इस महाशिवरात्रि पर मध्यरात्रि में भगवान शिव के सिर पर विराजित चंद्रमा कुंभ राशि में आकर शनि और सूर्य के साथ मिलकर भोलेनाथ के माथे पर विराजित त्रिपुंड चंदन जैसा त्रिग्रही योग बनाएँगे। महाशिवरात्रि पर इस योग का बनना बेहद दुर्लभ संयोग है। इसके साथ ही इस बार महाशिवरात्रि पर शनि स्वराशि के होकर शश योग, हंस योग, शुक्र और शनि की युति से षडाष्टक योग बन रहा है। षडाष्टक योग होने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
234 साल बाद बना यह खास योग-
महाशिवरात्रि पर पंच महायोग बन रहा है। शिवरात्रि पर केदार, शंख, शश, वरिष्ठ और सर्वार्थ सिद्धि योग मिलकर पंच महायोग बना रहे हैं। ऐसा अद््भुत संयोग करीब 234 साल बाद बन रहा है। इस दिन त्रयोदशी और चतुर्दशी दोनों तिथियाँ हैं। मान्यता है कि इस दिन किसी कार्य की शुरुआत करना व खरीददारी करना अति उत्तम होता है। इसका विशेष फल प्राप्त होता है।
ये करें अर्पण
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है। इसलिए कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करने के साथ बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी अति प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इस दिन भक्तगण भगवान शिव का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करने के साथ धतूरा, बेलपत्र सहित कई चीजें अर्पित करते हैं, लेकिन इन सभी चीजों में बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है।
कलश यात्रा निकली, गूँजे महादेव के जयकारे
भरतीपुर स्थित प्राचीन शिव-पार्वती मंदिर से महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में कलश यात्रा निकाली गई। बड़ी ओमती, झूलेलाल मार्केट, गलगला सहित िवभिन्न मार्गों से भ्रमण करते हुए यात्रा का समापन वापस मंदिर में हुआ। इस दौरान भगवान शिव एवं माता पार्वती की झाँकी विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। करीब 250 महिलाएँ सिर पर कलश रखकर जिस मार्ग से गुजरीं वहाँ भोलेनाथ के जयघोष गूँजने लगे। इस अवसर पर मंदिर अध्यक्ष सुशील सोनकर, लालमन सोनकर, राम सोनकर, मोहन सोनकर, जितेन्द्र सोनकर, रिंकू, बोसु, मंटू आदि मौजूद रहे।
आज मांगरमाटी- शिव विवाह के उपलक्ष्य में आज मंदिर परिसर में मांगरमाटी का आयोजन होगा। कल भगवान भोलेनाथ की बारात निकाली जाएगी।
Created On :   5 March 2024 10:56 PM IST