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जबलपुर: स्पोर्ट्स फीस वसूलने के बाद भी स्कूलों में आयोजित नहीं होते वार्षिक खेलकूद उत्सव
- फीस की 60% राशि जाती है डीईओ-जेडी कार्यालय सहित संचालनालय को
- 40% राशि बचती है स्कूलों के पास
- स्कूलों के विद्यार्थियों को ये भी पता नहीं होता कि आखिर वार्षिक खेलकूद उत्सव होता क्या है?
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नई शिक्षा नीति में केन्द्र सरकार स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देने की बात कह रही है। खेलों के लिए सरकारी व गैर सरकारी दोनों ही स्कूलों में विद्यार्थियों से स्पोर्ट्स फीस ली जाती है।
शासन के नियमानुसार ये फीस सालाना सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही स्कूलों के कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग निर्धारित है, जिसमें 120 रुपए हाई स्कूल व 200 रुपए हायर सेकेंडरी के विद्यार्थियों से बतौर स्पोर्ट्स फीस लेने का प्रावधान है।
यहाँ तक कि कोरोना जैसी महामारी में भी विद्यार्थियों से स्पोर्ट्स फीस ली गई थी, बावजूद इसके कई स्कूलों में वार्षिक खेलकूद उत्सव का आयोजन नहीं कराया जाता है।
आलम ये है कि इन स्कूलों के विद्यार्थियों को ये भी पता नहीं होता कि आखिर वार्षिक खेलकूद उत्सव होता क्या है?
सरकारी व प्राइवेट दोनों ही स्कूलों के प्राचार्यों का कहना है कि विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस का 60 फीसदी जेडी-डीईओ कार्यालयों सहित लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल को भेजना होता है।
जो रकम बचती है उससे ही खिलाड़ियों की जरूरतें पूरी करने सहित वार्षिक खेलकूद उत्सव का आयोजन कराना होता है, वहीं शासन स्तर पर प्राइमरी और मिडिल स्कूलों से किसी किस्म की स्पोर्ट्स फीस न लेने के आदेश हैं।
क्या बोले जिम्मेदार
इस साल स्कूल में वार्षिक खेलकूद का आयोजन नहीं करा पा रहे हैं। वजह बोर्ड परीक्षाओं का होना है।
-मुकेश तिवारी, प्राचार्य मॉडल हाईस्कूल
शासन स्तर पर जमा करने के बाद जो राशि बतौर स्पोर्ट्स फीस बचती है। उससे खेल संबंधी सामग्रियाँ खरीदी जाती हैं। समय-समय पर खेल संबंधी आयोजन कराते रहते हैं।
-प्रभा मिश्रा, एमएलबी प्राचार्य
वार्षिक खेल उत्सव कराने की बात सभी स्कूलों से कही जाती है। सरकारी व गैर सरकारी दोनों स्कूलों के लिए इस अादेश का पालन करना अनिवार्य है।
-चंदा सोनी, खेल अधिकारी
वार्षिक खेलकूद कराना अनिवार्य है, इसके लिये सभी स्कूलों को निर्देशित किया गया है।
-घनश्याम सोनी, डीईओ
छात्राएँ हतोत्साहित रहती हैं
एमएलबी में कक्षा 9वीं से 12वीं में 898 छात्राएँ हैं। बीते 3 सालों में स्कूल का बजट 1 लाख 67 हजार 520 रुपये रहा है। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में कभी भी वार्षिक खेलकूद उत्सव का भव्यता से आयोजन नहीं किया गया, जिससे छात्राएँ हतोत्साहित हैं।
मॉडल हाईस्कूल के भी यही हाल
इधर मॉडल हाईस्कूल के भी यही हाल हैं। यहाँ हाई व हायर सेकेंडरी में 1 हजार विद्यार्थियों पर बीते 3 सालों में स्कूल का बजट 1 लाख 92 हजार रहा है। यहाँ पर भी वार्षिक खेल उत्सव का आयोजन नहीं किया जाता है। जिससे छात्रों का उत्साह भी कम होता है।
Created On :   25 Jan 2024 9:00 AM GMT