जबलपुर: मरीजों के उपचार पर हावी एम्बुलेंस माफिया, जिम्मेदार खामोश

मरीजों के उपचार पर हावी एम्बुलेंस माफिया, जिम्मेदार खामोश
  • एमपीएनएचए और आईएमए की माँग कि एम्बुलेंस की हो जियो टैगिंग
  • हर मरीज की हो निगरानी, आए दिन आ रहे मामले
  • मरीजों काे धोखा देकर सरकारी की बजाय निजी अस्पतालों से साँठगाँठ कर वहाँ भर्ती करा दे रहे हैं।

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। सरकारी अस्पताल में भर्ती गरीब और असहाय मरीजों को बहलाकर निजी अस्पतालों में ले जाने वाले एजेंटों और एम्बुलेंस माफिया को प्रशासन का काेई खौफ नहीं है।

आए दिन ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं, जिनमें एम्बुलेंस संचालक मरीजों काे धोखा देकर सरकारी की बजाय निजी अस्पतालों से साँठगाँठ कर वहाँ भर्ती करा दे रहे हैं।

हाल ही में मेडिकल कॉलेज में ऐसा मामला सामने आया था, जहाँ वार्ड में भर्ती एक मरीज को निजी अस्पताल में उपचार कराने की सलाह देकर दो लोगों ने एम्बुलेंस भी बुलवा ली।

मौके पर मौजूद सीएमओ ने इसकी शिकायत पुलिस में भी की थी। मरीजों के उपचार पर हावी एम्बुलेंस माफिया पर जिम्मेदार खामोश हैं। इधर एमपीएनएचए और आईएमए ने रेफर होकर आने वाले मरीजों को उनकी जानकारी के बिना सरकारी की बजाय निजी अस्पताल ले जाने से जुड़े मामलों पर जनआंदोलन छेड़ रखा है।

माँग की जा रही है कि एम्बुलेंस माफिया पर नियंत्रण के लिए जियो टैगिंग की जानी चाहिए और हर मरीज की निगरानी की जानी चाहिए।

उपचार बीच में छोड़कर जा रहे मरीजों की हो रिपोर्टिंग

एमपीएनएचए जबलपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. अमरेंद्र पांडेय का कहना है कि इस बात की रिपोर्टिंग शासकीय अस्पतालों में की जानी चाहिए कि कौन सा मरीज उपचार बीच में ही छोड़कर कहाँ जा रहा है।

इसलिए एप बनाया जाए, वहीं एंटी फ्रॉड यूनिट इन गड़बड़ियों को देखकर जाँच करे। बिना मानकों के चल रहीं एम्बुलेंस पर कार्रवाई हो। एम्बुलेंस संचालन की व्यवस्था पर नियंत्रण होना चाहिए।

दुर्घटना के मामलों में बीमा कंपनियों को धोखे में रखने वाले वकीलों, उपचार के लिए मरीजों को बैंकों से लोन दिलाने वाले एजेंटों, उपचार की फीस वसूलने के लिए मरीज की कृषि भूमि और आभूषणों को छीन लेने वाले अस्पतालों के खिलाफ यह जन आंदोलन जारी रहेगा।

संगठनों द्वारा दिए गए सुझाव

प्रत्येक एम्बुलेंस चालक और एम्बुलेंस को पंजीकृत और जियो टैग किया जाना चाहिए और प्रत्येक मरीज की निगरानी की जानी चाहिए और केवल सरकारी अस्पतालों का उपयोग सरकारी रेफरल के लिए किया जाना चाहिए।

मरीज या रिश्तेदारों की वीडियो कॉल रिकॉर्ड की जानी चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वह किस अस्पताल में जाना चाहता है और सरकारी अस्पतालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

मरीजों के अपहरण के लिए एम्बुलेंस चालकों को भुगतान करने वाले अस्पतालों के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया जाना चाहिए और एफआईआर दर्ज की जाए।

यदि कोई मरीज अस्पताल में भर्ती रहते हुए अपनी जमीन/आभूषण बेचता है या बैंक से लोन लेता है तो अस्पताल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए और सौदा रद्द कर गरीब मरीजों के हक में मदद की जाए।

मेडिकल कॉलेज डीन और सीएमएचओ के माध्यम से सभी एम्बुलेंस, ड्राइवरों और मरीजों द्वारा किए भुगतान की ट्रैकिंग की जाए और नोडल अधिकारी स्थापित करना चाहिए।

शिकायत पर होगी कार्रवाई

मरीजों के साथ अगर इस तरह की घटनाएँ हो रही हैं तो शिकायत करें। शिकायत आने पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. संजय मिश्रा, सीएमएचओ

Created On :   22 Feb 2024 1:47 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story