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संपर्क माध्यम: मंडई मेला बना नेताओं के लिए जनसंपर्क का माध्यम
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। महाराष्ट्र के अंतिम छोर पर बसा गोंदिया जिला मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्यों की सीमा से सटा हुआ है। जिले में दीपावली के बाद से गांव-गांव में मंडई-मेलों की धूम शुरू हो जाती है। इन कार्यक्रमों में नाटक, लोकनृत्य, लावणी, कव्वाली, तमाशा, दंडार जैसे उपक्रमों के माध्यम से लोक कलाओं को जीवित रखने का प्रयास किया जाता है और लगभग सभी कार्यक्रमों के उद्धाटन के अवसर पर संबंधित क्षेत्र के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया जाता है। अगले वर्ष राज्य में लोकसभा एवं उसके बाद विधानसभा के चुनाव होंगे। जिसे देखते हुए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने अपनी-अपनी पार्टी की जड़ों को ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत करने की दृष्टि से इन मंडई-मेलों के कार्यक्रम को माध्यम बना लिया है। इस वर्ष नेता बिना चुके कार्यक्रमों के उद्घाटनों में पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि आयोजन के लिए अपनी जेब से धनराशि भी खर्च कर रहे है।
अनेक स्थानों पर विधायक आदि स्वयं आगे बढ़कर आयोजन की पहल कर रहे हैं। चूंकि जिले में कुछ दिनों पर हुए ग्राम पंचायत चुनाव में केवल 4 ग्राम पंचायतों के ही आम चुनाव हुए थे। जिसके कारण ग्रामीण जनता का राजनितिक झुकाव स्पष्ट नहीं हो पाया। पिछले चुनाव के बाद दो बड़े प्रमुख राजनितिक दलों में दो फाड़ हो गए है। जिससे कार्यकर्ता भी संभ्रमित दिखाई पड़ रहे हैं। इसीलिए अवसर का लाभ उठाकर राजनितिक नेता मंडई-मेलों के कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर भाग ले रहे हंै। चूंकि मंडई-मेलों में बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित होते हैं। जिसका लाभ उठाकर नेतागण अपने उद्घाटन भाषनों में भी अपने अथवा अपनी पार्टी द्वारा किए गए कार्यों से भी आम जनता को अवगत कराने से नहीं चुक रहे है। सत्ता पक्ष के नेता नागरिकों से शासकीय योजनाओं का लाभ उठाने का आव्हान कर रहे है। फिलहाल तो उद्घाटन आदि कार्यक्रमों में शामिल होकर बारह निकलने वाले सभी नेता गदगद दिखाई पड़ते है। लेकिन जनता के मुड को वह अपने पक्ष में कितना कर पाए है अथवा अपनी पार्टी को ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी गहराई तक ले जाने में सफल हुए है। यह तो आने वाले चुनाव के दौरान ही पता चल सकेगा।
Created On :   24 Nov 2023 5:55 PM IST