दहशत: जंगली हाथी के हमले में छिन गया इकलौता सहारा

जंगली हाथी के हमले में छिन गया इकलौता सहारा
बेसहारा हुए 95 वर्षीय पिता, दिभना में दहशत

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। विवाह के एक माह बाद ही पत्नी छोड़कर चले जाने और बचपन में ही मां का साथ भी छूट जाने से होमाजी बाबाजी गुरनुले (52) अपने खेत में धान की फसल उगाकर 95 वर्षीय पिता बाबाजी को संभालने का बीड़ा उठाया। घर में कोई महिला नहीं होने से होमाजी ही खेत का कार्य निपटाकर घर में भोजन बनाकर और अपने बुजुर्ग पिता की देखभाल करता। लेकिन नियति को शायद यह मंजूर नहीं था, मंगलवार की रात 9.30 बजे के दौरान खेतों में पहुंचे जंगली हाथियों को खदेड़ते समय एक हाथी ने होमाजी पर जानलेवा हमला कर दिया जिसमें उनकी घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। इस घटना के चलते घर का चिराग चले जाने से अब 95 वर्षीय पिता बेसहारा हो गए हंै। बुधवार को दिभना गांव के लोगों ने चंदा इकट्‌ठा कर मृत होमराज का अंतिम संस्कार किया। इस बीच वनविभाग ने सहानुभूति दिखाते हुए वित्तीय मदद के रूप में बुजुर्ग पिता बाबाजी को 50 हजार रुपए भी थमाए।

बता दें कि, ओड़िसा राज्य से गड़चिरोली जिले में दाखिल हुए जंगली हाथियों ने पिछले 2 वर्ष से जिले में उत्पात मचाए रखा है। एक सप्ताह पूर्व जंगली हाथियों के झुंड ने गड़चिरोली तहसील में प्रवेश किया। पोर्ला गांव के बाद गोगांव, अड़पल्ली और बाद में जेप्रा, दिभना, राजगाटा गांव परिसर में हाथियों ने प्रवेश किया। मंगलवार की रात भी जंगली हाथियों ने दिभना गांव 2 किमी की दूरी पर स्थित खेतों में प्रवेश कर धान की फसलों को तहस-नहस करना शुरू किया। इसकी जानकारी ग्रामीणों को मिलते ही सभी किसानों ने अपनी फसलों को बचाने के लिए खेतों की ओर दौड़ लगाई। होमाजी गुरनुले भी अपने मित्र अशोक मारोती कुमरे के साथ अपने खेत परिसर में पहुंचे। इस समय दर्जनों की संख्या में मौजूद जंगली हाथी उनके खेत की फसल को उजाड़ने का कार्य कर रहे हैं जिसके कारण होमाजी ने मशाल जलाकर हाथियों को खदेड़ने का प्रयास किया। लेकिन झुंड के एक हाथी ने दौड़ लगाते हुए होमाजी पर जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में होमाजी की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। घटना की जानकारी ग्रामीणों को मिलते ही शोक की लहर के साथ जंगली हाथियों की दहशत और अधिक बढ़ गई। बुधवार को वनविभाग की टीम ने दिभना गांव पहुंचकर पंचनामा किया और वित्तीय मदद के रूप में मृत होमाजी के पिता बाबाजी को 50 हजार रुपए वितरित किये।

उल्लेखनीय है कि, गुरनुले परिवार में होमाजी और उनके पिता बाबाजी दो ही सदस्य थे। पिछले अनेक वर्षों से होमाजी ने ही अपने पिता की जिम्मेदारी संभाली। चार महीने तक खेत में कड़ी मेहनत के बाद धान बेचकर पिता-पुत्र अपना गुजर-बसर करते आ रहे थे। लेकिन मंगलवार की घटना के बाद 95 वर्षीय पिता बाबाजी अब स्वयं बेसहारा हो गये हंै। लोगों ने चंदा इकट्‌ठा कर बुधवार को अंतिमसंस्कार की विधि पूर्ण की।

Created On :   19 Oct 2023 6:17 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story