प्रणाली: गडचिरोली के इस गांंव की अपनी ही सरकार, अब पृथक ग्राम परिषद का होगा गठन

  • गांव के मामलाें का स्थानीय स्तर पर ही होगा प्रबंधन
  • 35 बरस के निरंतर संघर्ष के बाद मेंढा (लेखा) ग्रामसभा को मिला ग्रामदान का अधिकार
  • उच्च न्यायालय की फटकार के बाद राज्य सरकार ने जारी की अधिसूचना

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। वर्ष 2009 में सामूहिक वन हक प्राप्त करने वाली देश की पहली ग्रामसभा मेंढा (लेखा) को अब राज्य सरकार ने ग्रामदान का अधिकार बहाल कर दिया है। दिल्ली-मुंबई में हमारी सरकार, हमारे गांव में हम ही सरकार की तर्ज पर अब मेंढा ग्रामसभा गांव और नागरिकों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास करेगी।

ग्रामदान का अधिकार प्राप्त करने के लिए लगातार 35 वर्षों से जारी संघर्ष को अब विराम मिल गया है। राज्य सरकार के राजस्व व वन मंत्रालय ने 21 फरवरी को एक अधिसूचना जारी करते हुए मेंढा ग्रामसभा को ग्रामदान का अधिकार प्रदान किया है। इस ग्रामदान के कारण अब मेंढा ग्रामसभा में पृथक ग्राम परिषद का गठन किया जाएगा। गांव के सारे नागरिक अपनी जमीनों को इस परिषद में दान करेंगे। जबकि गांव के विभिन्न मामलों को भी स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाएगा। मेंढा ग्राम मंडल कार्यकारी समिति के अध्यक्ष देवाजी तोफा द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों के बाद अब ग्रामदान का अधिकार प्राप्त होने से गांव के नागरिकों में हर्ष व्यक्त होने लगा है।

बता दें कि ग्रामदान, गांधीवादी विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए भूदान आंदोलन का विस्तार है। भूदान का मतलब था, बड़े भूस्वामियों द्वारा भूमिहीनों के लिए जमीन का दान। वहीं, ग्रामदान का मतलब है कि पूरा गांव अपनी जमीन को एक समिति के तहत रखेगा। महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र ग्रामदान अधिनियम 1964 कानून का गठन भी किया है। इस कानून के तहत वर्ष 1978 तक समूचे राज्यभर के 19 गांवों को ग्रामदान के रूप में घोषित किया गया है। इसके बाद ग्रामदान की ताकत को समझते हुए गड़चिरोली जिले के धानोरा तहसील के मेंढा (लेखा) ग्रामसभा ने ग्रामदान के लिए आवश्यक सारी प्रक्रिया को पूर्ण किया। राज्य सरकार के 28 नवंबर 2013 के राजपत्र में इस ग्रामसभा को ग्रामदान के रूप में घोषित भी किया गया। लेकिन अब तक इस ग्रामसभा को ग्रामदान के तहत किसी भी प्रकार के अधिकार प्रदान नहीं किए गए।

अधिसूचना जारी कर ग्रामदानी गांव की ग्रामसभा को पंचायत का दर्जा और अधिकार नहीं दिया गया। साथ ही जिलाधिकारी द्वारा ग्राम मंडल के सभी सदस्यों का पंजीयन कर उसकी प्रमाणित प्रत भी ग्राम मंडल को प्रदान नहीं की गयी थी। इसी कारण मेंढा ग्रामसभा ने 14 दिसंबर 2022 को नागपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। 21 सितंबर 2023 को न्यायालय ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए कानून के प्रावधानों के अनुसार 4 सप्ताह में अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए थे।

इस पर प्रशासन द्वारा लगातार 2 बार अवधि मांगी गयी। बावजूद इसके अधिसूचना जारी न करने पर न्यायालय के अवमानना की याचिका प्रशासन के खिलाफ दर्ज कराने की चेतावनी भी उच्च न्यायालय ने जारी की थी। इस चेतावनी के बाद 21 फरवरी 2024 को मेंढा ग्रामसभा को ग्राम पंचायत का दर्जा और अधिकार देने की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की गयी है। ग्रामदान के सारे अधिकार प्राप्त होने के बाद अब मेंढा ग्रामसभा अपने स्तर पर ही गांव का विकास करेगी। ग्रामदान का अधिकार प्राप्त करने के लिए ग्राम मंडल कार्यकारी समिति के अध्यक्ष देवाजी तोफा ने निरंतर रूप से प्रयास किए थे।

Created On :   27 Feb 2024 4:04 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story