Gadchiroli News: तेलंगाना के किसान अहेरी में कर रहे कपास की खेती, कमा रहे अधिक मुनाफा

तेलंगाना के किसान अहेरी में कर रहे कपास की खेती, कमा रहे अधिक मुनाफा
  • तेलंगाना के किसानों को बटाई में देकर दोहरी कमाई कर रहे
  • पामुलगौतम, प्राणहिता, इंद्रावती जैसी बड़ी नदी से मिलता है पानी
  • एक के बाद एक ले रहे फसल उत्पादन

Gadchiroli News समूचे विदर्भ में नदियों की तहसील के रूप में अहेरी जानी जाती है। किसानों के अधिकांश खेत नदियों के किनारे होने के कारण यहां बारह माह खेती की जा सकती है। लेकिन स्थानीय किसान खरीफ मौसम के दौरान केवल धान की उपज लेेने के बाद रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में चले जाते हैं।

इस दौरान तेलंगाना राज्य के किसान अहेरी में आकर कपास की फसल लगाते हैं। वहीं स्थानीय किसान अपने खेत चार महीनों के लिए तेलंगाना के किसानों को बटाई में देकर दोहरी कमाई कर रहे हैं। बता दें कि अहेरी तहसील में कोई सिंचाई परियोजना नहीं है। लेकिन यहां पर पामुलगौतम, प्राणहिता, इंद्रावती जैसी बड़ी नदी मौजूद हैं। इन्हीं नदियों के पानी के भरोसे स्थानीय किसान अपने खेतों में खरीफ मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर धान की उपज लेते हैं। इस वर्ष तीनों नदियों में आयी बाढ़ के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

अहेरी तहसील के स्थानीय किसान रबी सीजन में फसल नहीं लेने की वजह से खेत वीरान पड़े रहते हंै। इसी मौके का लाभ उठाते हुए तेलंगाना राज्य के किसान अब अहेरी परिसर में पहंुचकर हैं। स्थानीय किसानों से बटाई में खेत लेकर कपास की फसल उगाई कर रहे हैं। साथ ही बाहरी क्षेत्र के किसानों को स्थानीय कृिष केंद्र के माध्यम से रासायनिक खाद और कपास के बीज भी संबंधित किसान मालिक के नाम पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कपास की खेती के िलए रासायनिक खाद का उपयोग काफी किया जाता है।

सिंचाई के बाद और किसी भी प्रकार के कीटों के प्रकोप के दौरान दवाइयां छिड़की जाती हैं। वर्तमान में अहेरी तहसील के दर्जनों गांव परिसर में कपास की लहलहाती फसलें आसानी से देखी जा सकती है। लेकिन यह फसल स्थानीय किसानों की न होकर तेलंगाना राज्य के किसानों की है। बाहरी राज्यों के किसानों के जरिए स्थानीय किसान लाभ अर्जित कर रहे हैं। वहीं अन्य राज्यों में जाकर वे काम भी कर रहे हैं। इस तरह अहेरी के किसान दोहरी लाभ अर्जित कर रहे हैं।

Created On :   11 Dec 2024 3:34 PM IST

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