Gadchiroli News: अबूझमाड़ से सटे पोयारकोठी और मरकनार में ग्रामीणों ने की नक्सलियों की गांवबंदी

अबूझमाड़ से सटे पोयारकोठी और मरकनार में ग्रामीणों ने की नक्सलियों की गांवबंदी
  • ग्रामीणों ने पुलिस को सौंपी 2 राइफल
  • दोनों गांवों को योजना का मिलेगा लाभ
  • बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी

Gadchiroli News छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सलियों के लिए आश्रयस्थल के रूप में परिचित अबूझमाड़ के घने जंगल से सटे भामरागढ़ तहसील के पोयारकोठी और मरकनार गांव के नागरिकों ने गुरुवार 20 फरवरी को नक्सलियों के लिए गांव बंदी करने का फैसला लिया है। दोनों गांव में हुई विशेष बैठक के दौरान ग्रामीणों ने नक्सल गांव बंदी का प्रस्ताव पारित कर पुलिस विभाग को यह प्रस्ताव सौंपे है। पुलिस विभाग की नीति के तहत अब इन दोनों गांवों को योजना के अनुसार निधि उपलब्ध कर गांव में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इस दौरान पोयारकोठी गांव के नागरिकों ने पुलिस को 2 राइफल भी सौंपी।

बता दें कि, सरकार की ओर से वर्ष 2003 से नक्सल गांव बंदी योजना आरंभ की गयी है। पिछले कुछ महीने में पेनगुंडा समेत तकरीबन 20 गांवों ने इस योजना के तहत नक्सलियों के लिए गांव बंदी करने का फैसला लिया। गुरुवार 20 फरवरी को भामरागढ़ उपविभाग के तहत आने वाले कोठी पुलिस थाना क्षेत्र के पोयारकोठी गांव में पुलिस दल की ओर से विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान गांव के नागरिकों ने नक्सलियों के लिए गांव बंदी करने का फैसला लिया। इस समय गांव के 75 से अधिक नागरिक उपस्थित थे। नक्सलियों के खिलाफ आरंभ की गयी लड़ाई में अब गांव के सारे नागरिक पुलिस जवानों को सहयोग करेंगे। इस आशय का वचन भी नागरिकों ने अपने प्रस्ताव के माध्यम से दिया है। कोठी गांव में ली गयी विशेष बैठक के दौरान मरकनार गांव के नागरिकों ने भी नक्सलियों के लिए गांव बंदी करने का फैसला लिया है।

पोयारकोठी और मरकनार गांव अबूझमाड़ जंगल से सटे हुए हैं। नक्सलियों का यह आधार क्षेत्र होने के कारण वर्षों से इन दोनों गांवों में नक्सलियों की दहशत थी। गांव के नागरिक भी नक्सलियों के बहकावे में आकर उन्हें मदद पहुंचाने का कार्य करते थे। समय-समय पर भोजन देना, दवाइयों का प्रबंध करना जैसे कार्य नागरिकों द्वारा किए जाते थे। लेकिन वर्तमान में पुलिस विभाग द्वारा जगह-जगह पुलिस थाना निर्माण कर क्षेत्र के नागरिकों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य शुरू किया गया है। सरकारी योजनाओं का लाभ पाकर अब आदिवासी नागरिक आत्मनिर्भर बनने लगे हंै। इसी कारण उनके मन से नक्सलियों का भय अब समाप्त होने लगा है। इस कारण अब नागरिक बिना डरे नक्सलियों का विरोध करते हुए नक्सलियों के लिए गांव बंदी कर रहे हैं। पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल ने दोनों गांवों के नागरिकों का हौसला आफजाई करते हुए अन्य गांवों के नागरिकों से भी नक्सल गांव बंदी करने की अपील की है।

Created On :   21 Feb 2025 1:44 PM IST

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