नवागत सांसद से दरकार: आरओबी व रिंगरोड बने, औद्योगिक गतिविधियां बढ़े और शैक्षणिक गतिविधियों का हो विकास

आरओबी व रिंगरोड बने, औद्योगिक गतिविधियां बढ़े और शैक्षणिक गतिविधियों का हो विकास
  • आरओबी व रिंगरोड बने, औद्योगिक गतिविधियां बढ़े और शैक्षणिक गतिविधियों का हो विकास
  • सांसद बनने के बाद पांढुर्ना में होने जा रहे प्रथम आगमन को लेकर हुई तैयारियां
  • स्वागत के लिए उत्साहित भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/पांढुर्ना। पूर्व सीएम व केन्द्रीय मंत्री रहे कमलनाथ का किला ढहाते हुए 40 साल बाद छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के सांसद बने विवेक बंटी साहू का बुधवार को पांढुर्ना जिले में प्रथम आगमन होने जा रहा है। नवागत सांसद विवेक बंटी साहू से अब पांढुर्ना जिलेवासियों की काफी उम्मीदें है।

आरओबी निर्माण के खुल जाए रास्ते, खत्म हो इंतजारः

पांढुर्ना-अमरावती मार्ग पर परेशानी का सबब बनी रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज निर्माण की दरकार है। तीसरी रेललाइन बनने से समस्या और बढ़ी है। कई बार 20 से 25 मिनट तक फाटक बंद रहने की स्थिति में दोनों ओर दो-दो किलोमीटर की कतारें लगती है। सांसद से ओवरब्रीज के शीघ्र निर्माण कराने की आशा है। पांढुर्ना रेलवे स्टेशन से हटाए गए एक्सप्रेस ट्रेनों के स्टॉपेज पुनः बहाल हो, क्योकि छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले में नईदिल्ली-चैन्नई ग्रैंडट्रंक रूट पर मौजूद यह एकमात्र स्टेशन है।

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बाइपास के जैसे रिंग रोड का हो निर्माणः

साल 2014 में एनएचएआई के माध्यम से पांढुर्ना में बाईपास सड़क का निर्माण हुआ। जिससे नागपुर से भोपाल तक आवागमन आसान हुआ। पर आज भी अमरावती की ओर से आने वाले वाहन शहर के भीतर से गुजरते है। बीते एक दशक से चिचखेड़ा पाटी से कलमगांव, कलमगांव से अंबाड़ा खुर्द, मुंगूसखेड़ा, पारडी होते हुए मोरडोंगरी तक रिंग रोड बनाने की क्षेत्रवासियों की मांग है।

नए उद्योग खुले, औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेः

पांढुर्ना में रोजगार की दृष्टि से नए उद्योगों के शुरू होने की दरकार है। जिसके लिए यहां औद्योगिक गतिविधियां बढ़ाने की आवश्यकता है। पूर्व में पांढुर्ना में प्रस्तावित होकर वर्धा नदी के किनारे विकसित होने वाले औद्योगिक क्षेत्र को सौसर के बोरगांव में शिफ्ट कर दिया गया। जिससे पांढुर्ना का औद्योगिक विकास अधूरा रह गया। इसके बाद से पांढुर्ना को कोई बड़ी औद्योगिक इकाई नही मिल सकी है। जिसके चलते क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे शहरों का रूख करना पड़ रहा है।

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खुले डिग्री कॉलेज व एकलव्य स्कूलः

छिंदवाड़ा व पांढुर्ना जिले के बीच बसा आदिवासी अंचल शिक्षा की दृष्टी से उपेक्षित है। सौसर, पांढुर्ना, छिंदवाड़ा और जुन्नारदेव तहसील क्षेत्र के मध्य लावाघोगरी, मैनीखापा अंचल के आदिवासी क्षेत्र की डेढ़ सौ से अधिक पंचायतों के लिए आसपास के किसी भी कस्बे में कोई डिग्री कॉलेज नही है। लावाघोगरी, मैनीखापा, कौड़ियां, पाठई, काराघाट कामठी, नरसला, ढोलनखापा जैसे दूरस्थ गांवों से बारहवीं के बाद की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को छिंदवाड़ा या पांढुर्ना की दौड़ लगानी पड़ती है। विगत 70 सालों से यहां आज तक कॉलेज खोलने की कोई सार्थक पहल नही हुई। इसके अलावा इस क्षेत्र में एकलव्य स्कूल की भी दरकार है।

कमलनाथ ने दी है करोड़ों की सौगातेंः

सांसद रहते हुए कमलनाथ व नकुलनाथ ने पांढुर्ना क्षेत्र में कई बड़ी सौगातें दी है। पांढुर्ना के उत्तरी भाग में बाईपास निर्माण, मुख्य मार्ग के लिए फंड, जलांवर्धन योजना में 114 करोड़ की परियोजना, मोहगांव से पांढुर्ना तक पेजयल परियोजना जैसी कई बड़ी सौगातें कमलनाथ ने सांसद व केन्द्रीय मंत्री रहते हुए दी है। इसके अलावा पांढुर्ना में केन्द्रीय स्कूल की सौगात मिली। पांढुर्ना स्टेशन पर कई बड़ी एक्सप्रेस ट्रेनों को स्टॉपेज मिला था, वहीं क्षेत्र के दादाभक्तों की आस्था को देख दादाधाम एक्सप्रेस और उत्तर भारत से दक्षिण भारत के अलावा कई महत्वपूर्ण ट्रेनें पांढुर्ना से होकर भी चलाई गई।

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Created On :   12 Jun 2024 4:53 AM GMT

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