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करोड़ों की लागत से बने प्रयोगशाला भवन में लटके ताले, 4 साल में स्टाफ तैनात कर पाए न संसाधन दे पाए, 10 हजार का लक्ष्य, महज 3 हजार परीक्षण
- शो-पीस बने प्रयोगशाला भवन
- परासिया भवन से सामग्री गायब
- कोर्ट का हो रहा संचालन
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। बेहतर उपज के लिए मिटटी का ख्याल रखना जरूरी है। इसलिए प्रदेश सरकार ने तहसील व विकासखंड स्तर पर मिटटी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने का निर्णय लिया था। जिसके तहत जिले में करोड़ों की लागत से 10 प्रयोगशाला भवन बनाए गए थे। लेकिन विभाग की उदासीनता एवं शासन की अनदेखी के चलते इन भवनों में कर्मचारियों की तैनाती व संसाधन ही नहीं उपलब्ध कराए गए। जिसके चलते भवन में चार साल बीत जाने के बाद भी ताले लटक रहे है। वहीं जिलेभर के किसानों को जिला मुख्यालय की प्रयोगशाला के चक्कर काटने पड़ रहे है। जिला मुख्यालय में सीजन में 10 हजार सेम्पल का लक्ष्य रखा गया था लेकिन आठ हजार ही सेम्पल लिए जा सकें। वहीं अब तक 5 हजार किसानोंं द्वारा दिए गए सेम्पल की जांच होना बाकी है।
शो-पीस बने प्रयोगशाला भवन
कृषि उपज मंडी परिसर चौरई, अमरवाड़ा, उमरानाला के समीप, पांढुर्णा, सौंसर, तामिया, जुन्नारदेव सहित अन्य स्थानों पर बनाई गए भवन में वर्षो से ताला लटक रहा है। करोड़ों रूपए खर्च कर भवन तो बनाए गए लेकिन संसाधन व स्टॉफ की कमी के चलते भवन शोपीस बने हुए है।
कोर्ट का हो रहा संचालन
बिछुआ के किसानों को मिटटी परीक्षण के लिए जिला मुख्यालय की दौड़ न लगानी पड़े, इसके लिए प्रदेश सरकार ने लाखो रूपए खर्च कर भवन तो बनाया दिया। लेकिन लंबे समय तक प्रयोगशाला प्रारंभ न होने से अब इस भवन को न्यायलय के काम काज के लिए दे दिया गया है।
परासिया भवन से सामग्री गायब
परासिया में बनाए गए मिटटी परीक्षण केन्द्र में विभाग द्वारा संसाधन दिए गए थे। लेकिन केन्द्र को शुरू न कर पाने से यहां की सामग्री ही गायब हो गई है। विभाग ने सामग्री चोरी होने की जानकारी भी दी है। केन्द्र में ताला रहने से किसानों को जिला मुख्यालय जाना मजबूरी हो गया है।
इन उपकरणों की जरूरत
मिटटी परीक्षण केन्द्रों में लैब शुरू करने के लिए ताप मापक यंत्र,मिटटी साफ करने वाली मशीन, फ्रीजर व अन्य संसाधन की आवश्यकता है।
यह चाहिए स्टाफ
स्टॉफ में कृषि अनुसंधान अधिकारी, प्रयोगशाला सहायक, तकनीकी स्टाफ, कम्प्यूटर ऑपरेटर तथा अन्य स्टॉफ की जरूरत है।
इन तत्वों की होती है जांच
पौधों के समुचित विकास के लिए 16 पोषक तत्वों आवश्यक होते है। जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, फास्फोरस, नत्रजन, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम व सल्फर इनमें से 13 पोषक तत्व भूमि पर निर्भर होते है। लेकिन लगातार फसल लेते रहने से मिटटी में इन पोषक तत्वों की कमी या अधिकता हो जाती है। जिसके संतुलन के लिए मिटटी परीक्षण कराना जरूरी है।
इनका कहना है
जिले में 10 विकासखंडों में प्रयोगशाला भवन बनाए गए है। जिसमें एएएस मशीन प्रदान की गई थी। लेकिन प्रयोशाला में स्टॉफ की तैनाती न होने से केन्द्र का संचालन शुरू नहीं हो सका है। प्रयोगशाला के लिए तकनीकि कर्मचारियों की भर्ती होना आवश्यक है।
-सचिन दास, सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी छिंदवाड़ा।
Created On :   9 Aug 2023 8:37 PM IST