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छिंदवाड़ा: ऐतिहासिक गोटमार मेला आज, खुशी-खुशी घायल होंगे लोग
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/पांढुर्ना. विश्व में प्रसिद्ध ऐतिहासिक गोटमार मेला शुक्रवार को पांढुर्ना में मनाया जाएगा। जाम नदी के तट पर पांढुर्ना और सावरगांव के संगम पर सालों पुरानी गोटमार खेलने की परंपरा को निभाते हुए दो पक्ष के खिलाड़ी एक-दूसरे पर पत्थर बरसाएंगे। यहां स्थापित आराध्य देवी मां चंडिका के दरबार में भक्तों का मेला लगेगा। गोटमार खेलने वाले खिलाड़ी पांढुर्ना और सावरगांव से एक-दूसरे पर पत्थरों की बरसात करेंगे। मेले की सुरक्षा व्यवस्था में 500 से अधिक पुलिस बल यहां तैनात किया गया हैं। वहीं घायलों के उपचार के लिए 200 से अधिक चिकित्सक सहित स्वास्थ्य कर्मचारी सेवाएं देंगे।
गोटमार मेले की सुरक्षा को लेकर गुरुवार की शाम पुलिस बल पांढुर्ना पहुंच गया है। पुलिस थाने में बने कैंप के माध्यम से पुलिसकर्मियों को मेले की सुरक्षा के लिए ड्यूटी सौंपी गई और चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया। मिली जानकारी के अनुसार गोटमार मेले में सुरक्षा व्यवस्था को काबू में रखने के लिए पांच सौ से अधिक पुलिस कर्मी पांढुर्ना पहुंच चुके हैं। इसमें एसडीओपी रैंक के छह अधिकारी भी शामिल हंै। इनके साथ टीआई रैंक के 15 और एसआई रैंक के 30 अधिकारी भी मेले की सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगे। इनके अलावा एसएएफ की तीन कंपनियोंं के साथ होमगार्ड की टीम और एक वज्र वाहन तैनात रहेगा। पांढुर्ना शहर की ओर आने वाले मार्गों पर 11 स्थानों पर नाकाबंदी की गई है।
सुरक्षा व्यवस्था के साथ गोटमार मेले में घायल होने वाले खिलाडिय़ों के लिए कुल चार अस्थाई मेडिकल कैंप बनाए गए हैं। पांढुर्ना व सावरगांव में दो-दो कैंप बने है। कुल चार कैंप में 22 डाक्टरों के साथ 150 स्वास्थ्यकर्मियों की टीम घायलों को मेडिकल उपचार व सेवाएं देने के लिए तैयार रहेगी। गंभीर घायलों को तत्काल सघन उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाने 7 एंबुलेंस भी तैनात रहेगी।
गोटमार मेलास्थल के प्रमुख केन्द्र बिंदु पर स्थित श्रीराधाकृष्ण मंदिर को हर साल चार दिनों के लिए पूरी तरह ढंककर बंद रखने की अनूठी परंपरा निभाई जाती है। पत्थरबाजी के चलते सुरक्षा की दृष्टि से यह काम किया जाता है। सौ साल पुराने इस मंदिर को हर साल गोटमार मेले के दौरान चार दिनों के लिए ढंक कर बंद रखा जाता है।
मंदिर के व्यवस्थापक पुजारी प्रभाकरजी अंधारे का कहना है कि श्रीराधाकृष्ण मंदिर जाम नदी पर गोटमार मेलास्थल के केन्द्र बिंदु और मुख्य पुलिया पर मौजूद है। हर साल गोटमार मेले में पत्थरों की मार मंदिर के हर भाग को झेलनी पड़ती है। मंदिर की सुरक्षा के लिए हर साल मंदिर को सुरक्षा और एहतियात के तौर पर बांस की जाली और अन्य मजबूत सामग्रियों से ढंक दिया जाता है। इससे मंदिर के मुख्य परिसर और दीवारों पर पत्थरबाजी से कम नुकसान होता है। पोले के दो दिन पूर्व से लेकर गोटमार के दिन तक चार दिनों के लिए मंदिर बंद रहता है। गौरतलब है कि शहर के वरिष्ठ नागरिक नरेन्द्र पराते के वंशजों ने इस मंदिर का निर्माण कराया था और इस साल मंदिर निर्माण को सौ साल भी पूरे हो चुके हंै।
सार्वजनिक कुआं भी होता है बंद
मेलास्थल के पास मौजूद एक सार्वजनिक कुएं को भी एहतियात के तौर पर टीन, लकड़ी और अन्य मजबूत सामग्रियों से अच्छी तरह ढंक दिया जाता है। जाम नदी के किनारे मेलास्थल के एकदम समीप स्थित इस कुएं के ऊपर लगी टीनों पर चढक़र भी कई खिलाड़ी पत्थरबाजी का खेल खेलते हंै। इसके अलावा गोटमार मेलास्थल के आसपास स्थित मकानों को भी नुकसान से बचाने के लिए ढंक दिया जाता है।
Created On :   15 Sept 2023 4:14 PM IST