अनदेखी: न ट्रेनों की गति कम हुई न वन्यजीवों की मौतें, धूल खा रही समिति की उपाय योजना रिपोर्ट

न ट्रेनों की गति कम हुई न वन्यजीवों की मौतें, धूल खा रही समिति की उपाय योजना रिपोर्ट
पांच वर्ष पहले पेश की गई थी रिपोर्ट

योगेश चिंधालोरे , चंद्रपुर। घने जंगल को चिरकर ब्रिटिशकालीन जमाने वर्ष 1888 में बने चांदाफोर्ट रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आकर वन्यजीवों की मौतों का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा। वन्यजीवों की मौत के बाद हरकत में आनेवाले प्रशासन ने वर्ष 2018 में बाघ के 3 शावकों की मौत के बाद रेलवे विभाग के समन्वय से वनविभाग की एक समिति ने चंद्रपुर के चांदाफोर्ट से ब्रह्मपुरी तक जायजा लेकर आवश्यक उपाय योजना की वनविभाग व रेलवे विभाग ने संयुक्त रूप से एक रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट साउथ-इस्ट सेंट्रल रेलवे नागपुर डिवीजन तथा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भेजी गई। 5 वर्ष बीतने के बावजूद रिपोर्ट पर कोई विचार-मंथन नहीं हुआ, जिससे मौतों का सिलसिला बदस्तूर जारी है। विगत दिनों बाघ के एक शावक की मौत होने के बाद यह मुद्दा फिर गरमा गया है। उसके पहले तक वरिष्ठ स्तर पर पत्राचार करने स्थानीय वनविभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी थी। बता दें कि, वन्यजीवों की मौत और समिति की रिपोर्ट की विस्तृत खबर दैनिक भास्कर ने 28 दिसंबर 2018 ने प्रकाशित की थी।

वनविभाग को गंभीरता से लेना होगा तब ही रेल विभाग ध्यान देगा

वन्यजीव प्रेमी व पर्यावरण अभ्यासक प्रा.सुरेश चोपने का कहना है कि, वर्ष 2013 से इस विषय को लेकर पत्राचार जारी है। कोई संज्ञान नहीं लेने के कारण यह समस्या जस की तस बनी हुई है। ना वन्यजीवों की मौतें कम हुई है ना ही ट्रेनों की गति कम हुई। वर्ष 2018 में वनविभाग के अधिकारी राव को ज्ञापन दिया था और एक समिति के जरिए अभ्यास कराया था। उपाय योजना सहित एक रिपोर्ट रेलवे विभाग को भेजी थी। अनेक पत्राचार पीसीसीएफ की ओर किए गए परंतु ना रेलवे विभाग ने ध्यान दिया ना ही पीसीसीएफ द्वारा इस पर गंभीर संज्ञान लिया। वनविभाग ने गंभीरता से लिया तब ही उपाय योजना संभव है। अन्यथा रेलवे विभाग ध्यान नहीं देगा।

Created On :   30 Nov 2023 4:22 PM IST

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