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अनदेखी: एक वर्ष बाद भी नप को नहीं मिला स्थायी सीओ
डिजिटल डेस्क, घुग्घुस (चंद्रपुर) औद्योगिक नगरी, जिले में सबसे ज्यादा प्रदूषित व नेताओं द्वारा विकसित शहर के नाम से घोषित घुग्घुस शहर अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है। घुग्घुस शहर चंद्रपुर विधानसभा व लोकसभा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होने के बावजूद जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से आज तक घुग्घुस नगर परिषद को स्थायी मुख्याधिकारी नहीं मिला है। जिससे अनेक विकास कार्य ठप पड़े हैं। राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2020 में घुग्घुस नगर परिषद की घोषणा की। लगभग पौने तीन वर्ष का कार्यकाल बीत जाने के बावजूद अब तक घुग्घुस नगर पालिका के चुनाव नहीं हुए हैं, पिछले 1 वर्ष से प्रभारी मुख्य अधिकारी के भरोसे नगर परिषद का कामकाज चल रहा है। प्रभारी मुख्य अधिकारी सप्ताह में केवल दो ही दिन नगर परिषद में आते हैं। नगर परिषद बनने के बाद 3 जनवरी 2021 को नीलेश गौड़ की प्रशासक पद पर नियुक्ति की।
इसके बाद 12 अगस्त 2021 को अर्शिया जूही को स्थायी मुख्य अधिकारी पद पर नियुक्त किया गया था। उनके कार्यकाल में अनेक कार्य किए गए। मई 2022 को मुख्य अधिकारी का तबादला हो गया। 31 मई 2022 को सचिन खंडाले, 2 जून 2022 को सूर्यकांत पिदुरकर ,9 जून 2022 को सचिन खंडाले, 27 जून 2022 को जितेंद्र गादेवार, 12 जुलाई 2022 को सूर्यकांत पिदुरकर, 27 जुलाई 2022 को जितेंद्र गादेवार, 8 अगस्त 2022 सूर्यकांत पिदुरकर, 15 सितंबर 2022 को जितेंद्र गादेवार की प्रभारी मुख्य अधिकारी पद पर नियुक्ति की गई। नगर परिषद बनने के बाद अब तक तकरीबन पौने तीन वर्ष के कार्यकाल में 10 बार मुख्य अधिकारी नियुक्त किए गए जिसमें 9 बार प्रभारी मुख्याधिकारी और केवल एक ही बार स्थायी मुख्याधिकारी नियुक्त किया गया। स्थायी मुख्याधिकारी न होने की वजह से विकास कार्यों में बाधाएं निर्माण हो रही है। पिछले 1 साल से घुग्घुस नगर परिषद का कार्यभार नायब तहसीलदार जीतेंद्र गादेवार संभाल रहे हैं। अतिरिक्त पदभार होने के करण सप्ताह में मंगलवार व गुरुवार को नगर परिषद कार्यालय में उपलब्ध रहते हैं। जिसमें भी कई बार अन्य कामों के कारण घुग्घुस नगर परिषद नहीं आ पाते हैं, जिसके कारण नागरिकों को नगर परिषद के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। स्थायी मुख्य अधिकारी की नियुक्ति न होने से घुग्घुस नगर परिषद के वासियों में रोष है।
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Created On :   21 Sept 2023 4:12 PM IST