Chandrapur News: ताड़ोबा वन प्रशासन की अनदेखी से भानुसखिंडी गेट बरसों से पड़ा हुआ है बंद

ताड़ोबा वन प्रशासन की अनदेखी से भानुसखिंडी गेट बरसों से पड़ा हुआ है बंद
  • वन विभाग व प्रशासन की अनदेखी
  • वर्षों से बनकर तैयार, परंतु अब तक उसे खोला नहीं गया
  • पर्यटकों के लिए शीघ्र शुरू करने की मांग

Chandrapur News वरोरा तहसील में अर्जुनी तुकुम में ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से सटे कोर जोन के पास भानुसखिंडी पर्यटन गेट वर्षों से बनकर तैयार है, परंतु अब तक उसे खोला नहीं गया है। जबकि ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के अनेक गेटों से पर्यटन शुरू है, ऐसे में यदि इस गेट से प्रवेश शुरू हो जाये तो गांव के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसलिए भानुसखिंडी गेट को पर्यटकों के लिए खोले जाने की मांग नागरिकों ने वन विभाग तथा प्रशासन से की है।

बता दें कि भानुसखिंडी गेट तहसील मुख्यालय से 25 किमी दूर है। यहां पास ही लगभग 2000 की आबादी वाला एक आदिवासी गांव है। इस गांव के बगल में ताड़ोबा कोर जंगल का एक बड़ा क्षेत्र है और यहां हमेशा आवाजाही रहती है। इस जगह पर जंगली जानवर अक्सर दिखाई देते है। भानुसखिंडी गेट यह मार्ग चंद्रपुर, गड़चिरोली, नागपुर, वर्धा, भंडारा, यवतमाल जिलों के लोगों के करीब है और शेगांव का बड़ा बाजार क्षेत्र के 60 से 70 गांवों के लिए महत्वपूर्ण है। अर्जुनी तुकुम में वन विभाग की ओर से तीन कुटी जंगल रक्षा के लिए स्थायी वन कर्मचारी इमारत में कई कर्मचारी रहते है। परिसर के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है, किंतु इन दिनों जंगली जानवरों की दहशत की वजह से कृषि व्यवसाय में मुश्किल हो रहा है। ऐसे में ताड़ोबा के अन्य गेटों की तर पर्यटकों के लिए भानुसखिंडी गेट को शुरू किया गयाे तो गांव के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

अनेक गांवों को होगा लाभ : यदि भानुसखिंडी गेट को पर्यटकों के लिए खोला जाता है, तो क्षेत्र के अर्जुनी तुकुम, कोकेवाड़ा, सोनेगांव किनारा, वायगांव, चारगांव, धनोली आदि गांवों में पर्यटकों की संख्या बढ़ने और किसानों को स्थापित करने में मदद मिलेगी, इससे जिले के विकास को बढ़ावा मिलेगा। जिले में ताड़ोबा के अलावा और भी गेट से पर्यटन शुरू है, जिसमें जोगापुर, बल्लारशाह, जुनोना, सोमनाथ आदि का समावेश है।

ग्रीष्मकाल में जलस्रोत भी उपलब्ध : भानुसखिंडी में बाघ, तेंदुआ, भालू, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली भैसा समेत कई जंगली जानवर हैं और बड़ी संख्या में पक्षी भी हैं। पिछले कई सालों से इस बाघ का आतंक बना हुआ है। गांव के पास के खेतों में जानवर हमेशा देखे जाते हैं। इस परिसर में मुंडा, भानुसखिंडी, भानोबा, दौना, सांबरहोड, काला आंबा जैसे जलस्त्रोत है, जहां ग्रीष्मकाल के दिनों में पानी उपलब्ध होता है। इसलिए भानुसखिंडी गेट से पर्यटन शुरू करने की मांग अर्तुनी तुकुम के ग्रामीणों ने की है।

चेक फुटाणा में बाघ की दहशत : पोंभुर्णा वन परिक्षेत्र के चेक फुटाना गांव व आसपास के परिसर के खेतों में पिछले कुछ दिनों से बाघ नजर आ रहे हैं। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। इसके अलावा खेतों में काम भी प्रभावित हुए हैं। नागरिकों ने वन अधिकारियों से बाघों का तत्काल बंदोबस्त करने की मांग की है। पोंभुर्णा वन क्षेत्र में बाघों का आतंक है और मनुष्यों व घरेलू पशुओं पर हमले बढ़ रहे हैं। हालांकि, वन विभाग द्वारा कोई उपाययोजना नहीं की जा रही है। चूंकि बाघ बार-बार परिसर में दिख रहे हैं। गांव के ठीक बगल में वन क्षेत्र में चेक फुटाना खेत परिसर है। गांव जंगली इलाके के पास स्थित है। पिछले कुछ दिनों से एक नाले के परिसर में बाघ दिखाई दे रहे हैं। बाघ देखे जाने के डर से किसानों को घर लौटना पड़ रहा है। वन्यजीव व मानव संघर्ष बढ़ने की आशंका ग्रामीणों ने व्यक्त की है। इसलिए बाघ के गतिविधियों पर ध्यान देकर उसका जल्द से जल्द बंदोबस्त करने की मांग ग्रामीणों ने वन विभाग से की है।


Created On :   22 Oct 2024 5:36 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story