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Chandrapur News: खेत में कपास चुन रही महिला पर बाघ ने किया हमला
- जिला अस्पताल में चल रहा उपचार
- परिसर में बाघ की दहशत बनी
- कृषि का सीजन खतरे में
Chandrapur News पोंभुर्णा वनपरिक्षेत्र के चकठाणा- पिपरी देशपांडे-गोवर्धन खेत परिसर में कपास चुन रही महिला पर दबिश देकर बैठे बाघ ने हमला कर दिया। महिलाओं के शोर मचाने से बाघ भाग गया। इस हमले में पिपरी देशपांडे निवासी रसिका अंकुश कुमरे (28) गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल को जिला सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया। यह घटना 1 दिसंबर की सुबह 10 बजे हुई। इस घटना से परिसर में दहशत फैल गयी है।
अनेक दिनों से परिसर में बाघ की दहशत बनी हुई है इसकी वजह से कृषि का सीजन खतरे में पड़ गया है। दिनों दिन बाघ का विचरण बढ़ता जा रहा है। इससे वन्यजीव मानव संघर्ष बढ़ने की संभावना है। इसलिए बाघ का तत्काल बंदोबस्त करने की मांग ग्रामीणों ने की है। किंतु वनविभाग ने इसकी ओर अनदेखी की। नतीजतन बाघ ने महिला पर घायल कर दिया अब तक अनेकों पालतू जानवरों को अपना शिकार बना चुका है। घटना की सूचना मिलते ही वनक्षेत्र सहायक अजय बोधे और उनके सहयोगियों ने मौके पर पहुंचकर घायल महिला को उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया, किंतु उसकी हालत गंभीर होने से जिला सरकारी अस्पताल चंद्रपुर में रेफर किया गया।
जंगली जानवरों के उत्पात से किसान परेशान : खेती आज महज जुआ बन गया है एक ओर मौसम की बेरुखी के कारण कभी गीला सूखा तो कभी सूखा का संकट किसान परेशान है। हर मौसम में किसान इन सबका सामना एक नई उम्मीद के साथ करता है। वहीं, जंगल से सटे परिसर में जंगली जानवरों का लगातार खतरा बना होने से किसानों को जान हथेली पर लेकर रबी की खेती करनी पड़ रही है। जिले की अनेक तहसीलों की सीमा ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से सटी है। इसके साथ ही जिलेभर के जंगल में हिंसक जानवरों का बसेरा है। इसकी वजह से खेतों में काम करने वालों को अपनी जान हथेली पर रखकर काम करना पड़ रहा है।
जंगली जानवरों की वजह से मजदूरों की जान को सदा खतरा बना रहता है। नतीजा किसानों का जीना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा फसलों के बड़े होने पर जंगली सुअर, नीलगाय जैसे जानवर फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे बचने के लिए कई किसानों ने बाड़ लगाई है लेकिन वन्यजीव इसे तोड़कर अंदर घुस आते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। शुरुआत में पटाखों की आवाज से जंगली सुअर भाग जाते थे किंतु अब उनके लिए आवाज सामान्य बात हो गई है। इसलिए वे डरकर नहीं भागते हैं। खेती को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं, दूसरी जंगल में मवेशियों को चराने गए चरवाहे और मवेशियों पर दबिश देकर बैठे हिसंक जानवर अपना शिकार बनाते हैं।
Created On :   3 Dec 2024 4:05 PM IST